कुछ इस तरह ख़ुशी के साथ लेह में मना दलाई लामा का 83वां जन्मदिन: PHOTOS

लेह. जम्मू एवं कश्मीर के लेह जिले में तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के शुक्रवार को जन्मदिन के मौके पर विशेष प्रार्थनाओं का आयोजन किया गया. लेह के बाहरी इलाके में स्थित श्वात्सेल फोडरंग परिसर में सुबह से ही पारंपरिक पोशाकों में लोग जुटना शुरू हो गए थे. अपने 83वें जन्मदिन के मौके पर दलाई लामा ने प्रार्थनाओं में शिरकत की और लोगों को आशीर्वाद दिया. दलाई लामा के कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि हिज होलीनेस ने इस बार भी अपना जन्मदिन लेह के लोगों के साथ मनाने का फैसला किया था. तिब्बत के प्रधानमंत्री लोबसांग सांगेय ने भी यहां कार्यक्रम में शिरकत की. दलाई लामा के कार्यालय के अधिकारियों ने कहा कि आध्यात्मिक नेता जुलाई के अंत तक लेह के श्वात्सेल फोडरंग में रहेंगे. इस अवसर पर लेह में तिब्बती लोगों की संस्कृति देखने लायक थी. आप भी देखें तस्वीरें.

दलाई लामा के लेह एयरपोर्ट से निवास स्थान जाने के दौरान अपने गुरु का स्वागत करने के लिए सड़क के दोनों किनारे पर बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म के अनुयायी खड़े थे. लेह में रहने के दौरान दलाई लामा धार्मिक समारोह, ध्यान और उपदेश के कार्यक्रमों में भाग लेंगे.

लेह में तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के निवास स्थान पर उनके स्वागत के लिए बड़ी संख्या में अनुयायी खड़े थे. आध्यात्मिक नेता ने मंगलवार को यहां पहुंचने पर लोगों की एक सभा में कहा था कि वह यहां एक और बार आकर बहुत खुश हैं. 3 जुलाई को लेह पहुंचने पर दलाई लामा का पारंपरिक ढंग से स्वागत किया गया. जम्मू कश्मीर विधान परिषद के अध्यक्ष हाजी इनायत अली, सांसद थुपस्तान सेवांग, लेह के विधायक नवांग रिगजिन जोरा आदि ने उनकी अगवानी की. गदेन त्रिसुर रिझोंग रिनपोछे ने आध्यात्मिक धर्मगुरु का स्वागत किया.

दलाई लामा के जोकहांग पहुंचने के अवसर पर लेह की शोभा देखते ही बन रही थी. उनके स्वागत में बौद्ध भिक्षुओं का दल दलाई लामा के आगे-आगे पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाते हुए चल रहा था. लद्दाख क्षेत्र के लेह में तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने कहा कि सामंती व्यवस्था नफरत और हिंसा को जन्म देती है, जबकि लोकतंत्र शांतिपूर्ण माहौल के विकास के लिए सभी को अधिकार देता है. उन्होंने कहा कि सामंती व्यवस्था से लोकतंत्र तक बदलाव के साथ, हमारे मठ तंत्र में भी बदलाव लाए जाने की आवश्यकता है.

लेह पहुंचने के बाद दलाई लामा ने जोकहांग में गुरु रिनपोछे को श्रद्धांजलि अर्पित की. दलाई लामा ने लेह के जोकहांग में बौद्ध धर्म के अनुयायियों को भगवान बुद्ध के उपदेश दिए. इस दौरान बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षु मौजूद रहे. अपने आध्यात्मिक गुरु को सुनने के लिए लेह के स्थानीय बौद्ध मतालवंबी भी आए थे.

आध्यात्मिक गुरु के उपदेशों को सुनने के लिए लेह के असंख्य बौद्ध धर्मावलंबी जोकहांग पहुुंचे हैं. आज यहां पर दलाई लामा का 83वां जन्मदिवस हर्ष और उत्साह के साथ मनाया गया. इस मौके पर आध्यात्मिक गुरु अपने अनुयायियों से भी मिले. इस दौरान बौद्ध मतावलंबी पारंपरिक तिब्बती परिधानों में सज-धजकर पहुंचे थे.

चीन सरकार की प्रताड़ना और दमन से बचकर दलाई लामा 17 मार्च 1959 को अपने कुछ परिजनों और मतावलंबियों के साथ भारत आए थे. इस दिन को सभी तिब्बती खास अवसर के रूप में मनाते हैं. इतिहास में इसे ‘Great Escape’ के रूप में जाना जाता है. भारत सरकार ने दलाई लामा समेत तिब्बत से आए सभी लोगों को यहां शरणार्थी माना और शरण दी. इसके बाद से दलाई लामा अपने अनुयायियों के साथ हिमाचल प्रदेश में रह रहे हैं. अभी हाल ही में दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश की यात्रा को लेकर भी चीन ने आपत्ति जताई थी.

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