पाकिस्तान में होने वाले चुनाव को लेकर हिंदू महिलाओं के सामने मंडराया नागरिकता का संकट

हाल ही में पाक जनगणना आंकड़ों में अल्पसंख्यकों की बढ़ी हुई आबादी के चलते माना जाने लगा कि हिंदू वोट चुनाव की दिशा तय करेंगे। लेकिन हिंदू आबादी वाले इलाकों में लाखों महिलाओं को पहचान पत्र ही नहीं मिले हैं। इससे उनके सामने नागरिकता का संकट खड़ा हो गया है। अब ये हिंदू महिलाएं न तो मतदान कर पाएंगी और न ही उन्हें कोई अन्य सुविधाएं मिल पाएंगी।

एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक पाक चुनाव आयोग का मानना है कि देश में 1.21 करोड़ योग्य महिला मतदाताओं के पास पहचान पत्र ही नहीं हैं। ऐसी महिलाओं का नाम मतदाता सूची में भी शामिल नहीं किया गया है। आयोग के मुताबिक अकेले थरपारकर जिले में ढाई लाख महिला मतदाता हैं जिनमें से दो लाख के नाम मतदाता सूची में नहीं हैं। जिले के नेशनल रजिस्ट्रेशन एंड डाटाबेस अथॉरिटी के अधिकारी प्रकाश नंदानी ने बताया कि पहचान पत्र के बिना महिलाओं को बेनजीर सहायता कार्यक्रम का लाभ तक नहीं मिल पा रहा है। 

चार साल पहले पाक में डिजिटल पहचान पत्र का प्रत्येक नागरिक के पास होना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके बिना पाक में कोई भी काम नामुमकिन है लेकिन देश के हिंदू बहुसंख्यक इलाकों में महिलाओं को डिजिटल पहचान पत्र ही नहीं दिए जा रहे हैं। नेशनल रजिस्ट्रेशन एंड डाटाबेस अथॉरिटी के चक्कर लगाने के बावजूद हिंदू महिलाओं को डिजिटल पहचान पत्र जारी नहीं किए गए हैं। ये महिलाएं न तो बैंक में खाता खोल सकती हैं और न ही सरकार से कोई मुआवजा ले सकती हैं। 

चुनाव में दखल कर रही पाक सेना : डॉन सीईओ
वैसे तो पाकिस्तान में 25 जुलाई को होने वाले चुनावों को लेकर पहले से पाक सेना पर सियासी दखल के आरोप लगते रहे हैं लेकिन इस बार डॉन अखबार के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हामिद हारून के उस साक्षात्कार को लेकर चुनावी सरगर्मी बढ़ गई है जिसमें उन्होंने कहा कि पाक सेना चुनाव में खुलेआम हस्तक्षेप कर रही है।

बीबीसी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि सेना पूर्व क्रिकेटर इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई का भी समर्थन कर रही है। हालांकि हारून के बयान की पाक में आलोचना भी शुरू हो गई है क्योंकि उनका बयान परोक्ष रूप से पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के पक्ष में चुनावी माहौल बनाने में मदद कर रहा है। बता दें कि डॉन को चुनाव पूर्व सेंसरशिप का सामना करना पड़ रहा है।

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