उत्तराखंड: एनएच घोटाले व एमडीडीए पर मुख्यमंत्री के सख्‍त रुख से कांग्रेस परेशान

देहरादून: एनएच घोटाले व एमडीडीए सहित विभिन्न मामलों पर मुख्यमंत्री के सख्‍त रूख से कांग्रेस परेशान हो उठी है। एक ओर तो कांग्रेस नेताओं के हाथ आलोचना के मुद्दे ही नहीं लग रहे है, वहीं दूसरी ओर जांच के दायरे में कौन कौन नेता आएंगे इससे भी उनकी चिंता बढ़ गई है।उत्तराखंड: एनएच घोटाले व एमडीडीए पर मुख्यमंत्री के सख्‍त रुख से कांग्रेस परेशान

भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी डा देवेंद्र भसीन ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा यह साफ किए जाने के बाद है कि एनएच 74 घोटाले की जांच पूरी होने तक एसआइटी प्रमुख डॉ सदानंद दाते को राज्य से केंद्र के लिए रीलीव नहीं किया जाएगा, कांग्रेस नेता परेशान हो उठे हैं। एक तो इससे मुख्यमंत्री का भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्‍त रूख पुनः सिद्ध हुआ है वहीं कांग्रेस नेता दो और बातों से चिंतित हैं। 

प्रथम तो यह कि मुख्यमंत्री के बयान के बाद कांग्रेस के हाथ से सरकार के खिलाफ बयानबाजी का मुद्दा निकल गया है और दूसरा उन्हें सिर पर लटक रही जांच की तलवार चिंता में डाल रही है। अब जांच में कुछ सफेदपोशों के नाम आने की आशंका के समाचारों से उनके चेहरे पर परेशानी की लकीरें पढ़ी जा सकती हैं।

डॉ भसीन ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा एमडीडीए का पिछले पांच वर्ष के कार्यों का विशेष ऑडिट कराने का जो निर्णय लिया है, वह भी महत्वपूर्ण है। यह समयावधि मुख्यतः कांग्रेस के शासन काल की है। इस दौरान देहरादून का जिस रूप में स्वरूप बिगड़ा और विभिन्न प्रकार के क्रिया-कलाप हुए वे हमेशा चर्चा में रहे। उस पड़ताल से बहुत कुछ ऐसा आने की आशंका है जो कई महत्वपूर्ण लोगों को दिक्‍कत में डाल सकता है।

डॉ भसीन ने कहा कि एनएच मामले पर कांग्रेस नेता सीबीआई जांच का जो मुद्दा एक साल से अधिक समय से उठाते रहते हैं, वह भी मामले को उलझाने से अधिक कुछ नहीं है, लेकिन वे मामले को उलझाने में भी कामयाब नहीं हुए है। उन्होंने कहा भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री जिस प्रकार से कड़ा रूख अपना रहे हैं, उससे वे इस बात को स्थापित करने में सफल रहे हैं कि कानून से ऊपर कोई नहीं, जबकि कांग्रेस सरकार के समय उस समय के मुख्यमंत्री का मंत्र था “ न खाता न बही, जो वे (मुख्यमंत्री) कहें वह सही”। लेकिन अब खाते बही का हिसाब भी रखा जा रहा है और पुराना हिसाब भी मांगा जा रहा है।

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