MP: दशहरे पर रावण और मेघनाद के पुतलों के दहन के विरोध में आये आदिवासी, और किया ये सब, और कहा…
सारनी.दशहरे पर रावण और मेघनाद के पुतलों के दहन के विरोध में आदिवासी एकजुट हो गए हैं। शनिवार को उन्होंने सारनी में इसके खिलाफ अनूठा प्रदर्शन किया। शहर के रावण दहन स्थल पर इकट्ठा होकर आदिवासियों ने संकल्प लिया कि कुल देवता रावण का दहन नहीं होने देंगे। यहां से पारंपरिक वेषभूषा और वाद्य यंत्रों के साथ आदिवासियों रैली निकाली और थाने पहुंचकर विरोध किया। उन्होंने कहा रावण को जलाना और राक्षस कहना भारतीय संस्कृति के खिलाफ है। आदिवासियों ने शहर के श्रीराम मंदिर के सामने अपने कुल देवता जय लंकेश के नारे भी लगाए।
दशहरे पर सारनी के रामरख्यानी और पाथाखेड़ा के फुटबॉल मैदान में रावण का दहन होता है। खुशी में आतिशबाजी होती है। यही नहीं पूरे देश में रावण दहन धूमधाम से होता है। इससे आदिवासियों की धार्मिक भावना आहत होती है। रावण, मेघनाद और महिषासुर आदि आदिवासियों के कुल देवता हैं। वे इनकी पूजा करते हैं। दशहरे में इनके स्वरूप पुतले जलाना या इन्हें राक्षस कहना संस्कृति द्रोही है। यह देशद्रोह की श्रेणी में आता है। संविधान की धारा 25 के तहत सभी को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है। उन्होंने श्रीराम मंदिर के सामने पारंपरिक वाद्यों के साथ जय लंकेश के नारे लगाए। थाने में एसडीओपी पंकज दीक्षित और टीआई विक्रम रजक को ज्ञापन सौंपा।