मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार क्‍या यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे?

 बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार क्‍या यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे? जेडीयू के राष्‍ट्रीय महासचिव और पूर्व सांसद धनंजय सिह के एक बयान के बाद इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं। धनंजय सिंह ने कहा है कि यूपी में जेडीयू के कार्यकर्ता चाहते हैं कि सीएम नीतीश कुमार यहां की फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ें। गौरतलब है कि नीतीश, सपा, बसपा, कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को तीसरी बार केंद्र की सत्‍ता में आने से रोका जा सके।

पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा ‘जेडीयू कार्यकर्ता चाहते हैं कि नीतीश कुमार जी यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ें।’ बता दें कि फूलपुर संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पूर्व प्रधानमंत्री विश्‍वनाथ प्रताप सिंह कर चुके हैं। राजनीति के जानकारों का कहना है कि जेडीयू की नज़र इस सीट पर स्‍थानीय समीकरणों की वजह से है। इस सीट से कई बाद कुर्मी बिरादरी के उम्‍मीदवार चुनाव जीते हैं। मौजूदा सांसद केशरी देवी पटेल भी इसी बिरादरी से आती हैं। बिहार के सीएम नीतीश भी इसी समुदाय से हैं। 

विपक्षी एकता पर जेडीयू नेता धनंजय सिंह ने कहा कि बीजेपी को तीसरी बार सत्‍ता में जाने से रोकना जरूरी है। यह विपक्ष की एकता से ही संभव हो सकता है। यदि विपक्ष एकजुट हो और चुनाव बीजेपी की अगुवाई वाले राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) बनाम संयुक्‍त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) हो जाए तो यह मुमकिन है। उन्होंने कहा ‘हमारे नेता यूपी में सपा, बसपा और कांग्रेस को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं। राष्ट्रीय लोक दल पहले से ही समाजवादी पार्टी के साथ है।’ बसपा विपक्षी मोर्चे में शामिल होगी या नहीं इस सवाल पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने कहा कि हमें उम्‍मीद है। 

पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने कहा कि देश में विपक्ष का मजबूत होना बहुत जरूरी है। यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान सपा ने अच्छा प्रदर्शन किया। सदन में सपा के सदस्‍य बढ़े। यदि विपक्ष एकजुट होकर और सही रणनीति बनाकर लड़े तो यूपी में 50 से अधिक सीटें जीत सकता है। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार चाहते हैं कि बीजेपी को टक्‍कर देने के लिए संप्रग एकजुट होकर लड़े। पूर्व सांसद ने कहा कि यूपी, बिहार बिहार और झारखंड में लोकसभा की कुल 134 सीटें हैं। हम इनमें से 60-70 फीसदी से ज्यादा सीटें जीतना चाहते हैं। यूपी में भी हमारी तैयारी जोरशोर से चल रही हैं। यहां पार्टी छह सीटों पर अपने उम्‍मीदवार उतार सकती है।

नीतीश ने लखनऊ में अखिलेश से की थी मुलाकात 
बिहार के सीएम नीतीश कुमार हाल में लखनऊ आए तो उन्होंने समाजवादी पार्टी अध्‍यक्ष अखिलेश यादव से भी मुलाकात की। हालांकि तब बताया गया था कि विपक्षी दलों को एकजुट करना इस मुलाकात का उद्देश्‍य था। नीतीश, दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता राहुल गांधी से भी मुलाकात कर चुके हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी उनकी मुलाकात हुई है। कुछ मुलाकातों में राजद नेता और बिहार के डिप्‍टी सीएम तेजस्‍वी यादव भी उनके साथ रहे। बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन (जिसमें अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल एस भी शामिल है) ने यूपी से कुल 64 लोकसभा सीटें जीती थीं। बीजेपी इस साल यूपी की सभी 80 सीटें जीतने का दावा कर रही है। पिछले चुनाव में बसपा को 10, सपा को पांच और कांग्रेस को एक सीट मिली थी। यूपी में अपना दल (एस) कुर्मी बिरादरी के हितों की लड़ाई लड़ने का दावा करती है।

पहले भी लगी थीं अटकलें
पिछले साल नीतीश कुमार ने बीजेपी छोड़ राजद और कांग्रेस का समर्थन लेकर बिहार में एक बार फिर अपनी सरकार बनाई थी। इसके करीब एक महीने बाद ही उनके फूलपुर सीट से चुनाव लड़ने को लेकर कयास लगने लगे थे। तब जेडीयू के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने दावा किया था कि नीतीश के पास कम से कम यूपी की तीन सीटों से चुनाव लड़ने का ऑफर था। इनमें उन्‍होंने फूलपुर के अलावा मिर्जापुर और अंबेडकरनगर की सीट गिनाई थी।

हालांकि तब नीतीश ने ऐसी किसी योजना से इनकार करते हुए कहा था कि मेरी कोई व्‍यक्तिगत महत्‍वाकांक्षा नहीं है। मैं तेजस्‍वी जैसे युवा लोगों को सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ाना चाहता हूं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2004 के बाद से नीतीश किसी चुनाव में सीधे मुकाबले में नहीं उतरे हैं। नवम्‍बर 2005 में बिहार का मुख्‍यमंत्री बनने के बाद से वह लगातार विधान परिषद के सदस्‍य चुने जाते रहे हैं। 2004 में उन्‍होंने बिहार की दो सीटों बाढ़ और नालंदा से चुनाव लड़ा था। वह नालंदा सीट से विजयी रहे जबकि बाढ़ सीट से हार गए थे। 

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