2019 के चुनाव पर वित्तमंत्री जेटली का बड़ा बयान, कहा- अराजकतावादी विपक्ष से भाजपा का होगा मुकाबला

विपक्षी पार्टियों पर हमला बोलते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली का कहना है कि महत्वकांक्षी भारत कभी भी अराजकता वाली राजनीति को स्वीकार नहीं करेगा जो 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस साल का राजनीतिक एजेंडा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनाम अराजकता गठजोड़ है। 2014 के चुनाव ने एक नए भारत की स्थापना की थी। सर्जरी से उबर रहे मंत्री ने ब्लॉग लिखकर नरेंद्र मोदी सरकार की चार साल की उपलब्धियों को गिनाया।2019 के चुनाव पर वित्तमंत्री जेटली का बड़ा बयान, कहा- अराजकतावादी विपक्ष से भाजपा का होगा मुकाबला

जेटली ने कहा कि कुछ अलग-थलग समूह हैं जिनके पास सरकार चलाने का बहुत खराब रिकॉर्ड है और कुछ अपरंपरागत नेता हैं। वहीं कुछ ऐसे नेता हैं जिनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। इन राजनीतिक दलों के लिए स्थिर सरकार बनाना कभी एजेंडा नहीं रहा है। उन्होंने कहा, ‘ऐसी बहुत सी पार्टी हैं जिनका राजनीतिक आधार या तो कुछ राज्यों तक या जाति तक सीमित है। भारत जैसे विशाल देश पर गठबंधन के जरिए शासन किया जा सकता है लेकिन इसका केंद्र स्थिर होना चाहिए। गठबंधन में वैचारिक और ईमानदार गवर्नेंस का नजरिया साफ होना चाहिए। इसी वजह से फेडरल फ्रंट एक असफल विचार है।’ 

जेटली ने कहा कि सरकार अपने पांचवे साल में कदम रखने जा रही है। यह साल नीतियों के एकीकरण और एनडीए के कार्यक्रमों को लागू करने वाला है। एनडीए सरकार की उपलब्धियों पर बात करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि वैश्विक स्तर पर भारत कमजोर देश से उज्जवल भारत में बदल चुका है। जीएसटी का कार्यान्वयन, नोटबंदी का प्रभाव, प्रभावी कर अनुपालन सरकार द्वारा कालेधन के खिलाफ उठाए गए कुछ प्रमुख कदम हैं। आर्थिक परेशानियों से जूझने वाला भारत आज दुनिया की तेजी से उबरती हुई अर्थव्यवस्था बन गया है। आने वाले सालों में भी भारत की यही स्थिति बरकरार रहेगी।
 
वित्तमंत्री ने कहा कि गुड गवर्नेंस और अच्छी अर्थव्यवस्था को अच्छी राजनीति के सम्मिश्रण से बनाया जाता है। यही वजह है कि भाजपा पूरी तरह से आत्मविश्वासी है। उसका भौगोलिग आधार पहले से ज्यादा बड़ा हुआ है। उसका सोशल आधार का भी पहले से ज्यादा विस्तार हुआ है। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए जेटली ने कहा कि कभी देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी रही कांग्रेस अब कुछ दलों का सहारा ले रही है। अपने हाथ से सत्ता चले जाने की वजह से पार्टी बहुत ज्यादा परेशान है।

कांग्रेस जिस तरह से राजनीतिक फैसले ले रही है उससे साफ है कि लोगों ने इसे दरकिनार कर दिया है। इस तरह की पार्टी अपनी काबिलियत पर कभी सत्ता हासिल नहीं कर पाते हैं और दूसरे दलों के एक छोटे समर्थक बने रहते हैं। कर्नाटक एक उदाहरण है जहां कुछ जिलों तक सीमित रहने वाली पार्टी के नेता को मुख्यमंत्री बनाने के लिए पार्टी तैयार हो गई है।

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