BJP के कार्यकारी अध्‍यक्षका पंडित नेहरू पर आरोप, डॉ. श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत की जांच की मांग…..

Shyama Prasad Mukherjee Death Anniversary भाजपा के कार्यकारी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर आरोप लगाया कि जब पूरा देश डॉ. श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत की जांच की मांग कर रहा था तो पंडित नेहरू ने जांच का आदेश नहीं दिया। इतिहास इस बात का गवाह है। डॉ. मुखर्जी का बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाएगा, भाजपा इस कारण से प्रतिबद्ध है।

(नई दिल्‍ली स्थित भाजपा मुख्‍यालय में रविवार को डॉ. श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि देते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह) 

(डॉ. श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि देते केंद्रीय भाजपा के कार्यकारी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा)

(डॉ. श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि देते केंद्रीय भाजपा के वरिष्‍ठ नेता ओम माथुर)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया कि ‘बालिदान दिवस पर याद करते हुए एक देशभक्त और गर्वित राष्ट्रवादी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारत की एकता और अखंडता के लिए अपना जीवन समर्पित किया। एक मजबूत और एकजुट भारत के लिए उनका जुनून हमें प्रेरित करता है और हमें 130 करोड़ भारतीयों की सेवा करने की ताकत देता है।’

गौरतलब है कि 23 जून, 1953 को डॉ. श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्‍यमय ढंग से मौत हुई थी। उनकी मौत एक रहस्‍य है। पूरा देश उनका आज श्रद्धांजलि दे रहा है। नई दिल्‍ली स्थित भाजपा मुख्‍यालय में डॉ. श्‍यामा प्रयाद मुखर्जी का श्रद्धांजलि दी गर्इ्, इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के कार्यकारी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और भाजपा के अन्‍य वरिष्‍ठ नेता मौजूद रहे।

डॉ॰ मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। आजादी के समय जम्मू कश्मीर का अलग झण्डा और अलग संविधान था। वहां का मुख्यमन्त्री (वजीरे-आजम) अर्थात् प्रधानमन्त्री कहलाता था। संसद में अपने भाषण में डॉ॰ मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की। अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली में उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया था कि या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊंगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूंगा।

उन्होंने तत्कालीन नेहरू सरकार को चुनौती दी तथा अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहे। संकल्प को पूरा करने के लिये वे 1953 में बिना परमिट लिए जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े। वहां पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नजरबन्द कर लिया गया। 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी।

Back to top button