पिकनिक स्पॉट बना बिहार सरस मेला परिसर
बिहार सरस मेला परिसर खरीददारी के साथ ही पिकनिक स्पॉट बना, जहां बड़ी संख्या में लोग अपने परिजनों के साथ आए और मेला का लुत्फ़ उठाया। बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका) की परियोजना समन्वयक महुआ राय चौधरी ने बुधवार को कहा कि 12 दिसंबर से जारी सरस मेला का 26 दिसंबर को समापन होगा, लिहाजा लोग जमकर खरीदददारी कर रहे हैं।
महुआ राय चौधरी ने बताया कि गृहिणी से लेकर, नौकरी-पेशा करने वाले लोग, छात्र-छात्राएं, राजनीति से जुड़े लोग, बड़े और छोटे अधिकारी के साथ ही राज्य स्तर पर बड़े पदों को सुशोभित करने वाले शख्सियत भी मेला में आए और खरीददारी की। बिहार सरस मेला का अवलोकन चार-चार पीढ़ियों ने किया और वे सदियों पुरानी संस्कृति, शिल्प, परम्परा और देशी व्यंजनों को देख हर्षित हुए।
चौधरी ने बताया कि मेला हस्तशिल्प को प्रोत्साहन एवं बाजार उपलब्ध कराने के साथ ही लोक गीत-नृत्य को प्रोत्साहन, चित्रकला एवं निबंध लेखन को प्रोत्साहन, नाट्य कला को प्रोत्साहन, सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन के लिए जन जागरूकता अभियान, वित्तीय साक्षरता और डिजिटल फ्रॉड से बचने के लिए जन जागरूकता अभियान एवं बैंक, संस्थान एवं विभिन्न विभागों की ओर से चलाए गए लोक कल्याणकारी योजनाओं से आगंतुकों को लाभान्वित किया जा रहा है।
सरस मेला में लगे जीविका दीदी के पौधशाला के माध्यम से 13 दिनों में लगभग 40 हजार रुपए के पौधे की बिक्री हुई है। विभिन्न विभागों, संस्थानों तथा गैर सरकारी बैंको के स्टॉल से सरकारी योजनाओं से आगंतुकों को रूबरू कराया जा रहा है। जीविका के स्टॉल पर हुनरमंद एवं उद्यमी महिलाओं की गाथा तथा स्वच्छ गांंव-समृद्ध गांंव की परिकल्पना को प्रदर्शित किया गया है।
परियोजना समन्वयक ने बताया कि 13 दिनों में मेला में खरीद-बिक्री का आंकड़ा साढ़े 16 करोड़ पार कर गया। आज ढाई लाख से अधिक लोग मेला में आए। आगंतुकों की बड़ी संख्या सरस मेला के अब तक के आयोजन की एक दिन की सबसे बड़ी संख्या रही।