बिहार: अब कोसी में बिकेगा सुपौल के ही डेयरी का प्रोडक्ट

कोसी के इलाके में अब सुपौल डेयरी का ही प्रोडक्ट बिकेगा। सोमवार को सीएम नीतीश कुमार ने 24.13 करोड़ की लागत से हुए डेयरी के क्षमता विस्तार का उद्घाटन किया है। जिसके बाद सुपौल डेयरी की क्षमता दो गुणी हो गई है और अब यहां रोजाना दो लाख लीटर दूध की प्रोसेसिंग हो सकेगी। इसके अलावा दही, पेड़ा, रसगुल्ला, गुलाबजामुन जैसे डेयरी प्रोडक्ट भी अब सुपौल डेयरी में ही तैयार होंगे। कोसी के इलाके में अब सुपौल डेयरी के प्रोडक्ट ही बिकेंगे। सीएम के उद्घाटन कार्यक्रम के बाद यह जानकारी कॉम्फेड के परियोजना निदेशक राज कुमार ने दी है। उन्होंने बताया कि फिलहाल कोसी के इलाके में डेयरी उत्पादों की सप्लाई बरौनी डेयरी से की जाती है। नए संयंत्र के चालू होने के बाद आम ग्राहकों सहित पशुपालक किसानों को भी बड़ा लाभ होगा।

उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि राज्य सरकार बिहार में श्वेत क्रांति के लिए काम कर रही है। इसके तहत प्रत्येक पंचायत में पंचायत सरकार भवन का निर्माण कराकर वहां डेयरी बूथ खोलने की दिशा में काम चल रहा है। दावा किया कि फरवरी के महीने से सुधा इंटरनेशनल ब्रांड बन जाएगा। सुधा के डेयरी प्रोडक्ट फरवरी महीने से अमेरिका में निर्यात होने लगेंगे। पहले चरण में एक कंटेनर घी का निर्यात किया जाएगा।

छपरा में जल्द बनेगा निर्यात आधारित केंद्र, भेजा गया है प्रस्ताव
कॉम्फेड के परियोजना निदेशक ने कहा कि अमेरिका में सप्लाई शुरू होने के साथ ही सुधा की डेयरी प्रोडक्ट की अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनेगी। छपरा में निर्यात आधारित केंद्र बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है। छपरा जिले के जलालपुर में करीब 200 करोड़ की लागत से इस केंद्र का निर्माण होना है। निर्यात केंद्र निर्माण के बाद अमेरिका के अलावा भी अन्य देशों में सुधा के डेयरी प्रोडक्ट का निर्यात सुगम होगा।

डीबीटी के माध्यम से पशुपालकों को मिलेगी राशि
परियोजना निदेशक ने बताया कि डेयरी में दूध सप्लाई करने वाले पशुपालक किसानों को अब सरकार डीबीटी के माध्यम से भुगतान शुरू कर रही है। दूध में मौजूद फैट के अनुसार उसका रेट निर्धारित है। पशुपालकों द्वारा की गई सप्लाई के आधार पर उन्हें बैंक खाते में ही राशि का भुगतान किया जाएगा। यह निर्णय पशुपालकों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से लिया गया है। इससे इलाके में दूध उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद है। इसका सीधा लाभ किसानों के साथ ही स्थानीय उपभोक्ताओं को भी मिलेगा।

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