नवजोत सिंह सिद्धू को बड़ी राहत, सुप्रीम काेर्ट ने जुर्माना लगाकर किया बरी
चंडीगढ़। पूर्व क्रिकेटर आैर पंजब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को रोडरेज मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनको इस मामले में जुर्माना लगाकर छोड़ दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट द्वारा सुनाई गई तीन साल की कैद की सजा को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को मारपीट का दोषी तो करार दिया, लेकिन गैर इरादतन हत्या के अारोप से बरी कर दिया। इस तरह सिद्धू को अपनी राजनीतिक पारी में बड़ा जीवनदान मिला है। अब वह अपनी सियासी पारी में अपनी पारी का नए सिरे से आगाज कर सकेंगे। कोर्ट के इस फैसले का पंजाब की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। पंजाब में सिद्धू के समर्थकों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुशी की लहर दौड़ गई है।
रोडरेज मामले में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिद्धू पर सुप्रीम कोर्ट आज सुना सकता है फैसला
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने 18 अप्रैल को सुनवाई के बाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। आल उन्होंने अपना फैसला सुनाया। सिद्धू ने दावा किया था कि गुरनाम सिंह की मौत का कारण विरोधाभासी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी गुरनाम सिंह की मौत कारण स्पष्ट नहीं कर पाई है। सिद्धू इस समय पंजाब सरकार में पर्यटन मंत्री हैैं। मामले में दोषी ठहराए गए सिद्धू के साथी रुपिंदर सिंह संधू ने भी अपील की थी। संधू को भी हाई कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई थी।
बता दें कि 1988 में पटियाला में कार पार्किंग को लेकर 65 साल के गुरनाम सिंह के साथ सिद्धू का विवाद हो गया था और आरोप था कि इस दौरान हाथापाई तक हो गई थी और बाद में गुरनाम सिंह की अस्पताल में मौत हो गई थी। उनकी मौत क कारण हार्ट अटैक बताया गया था। सेशन कोर्ट ने इस मामले में सिद्धू और उनके साथी को बरी कर दिया।
बाद में हाई कोर्ट ने सिद्धू और उनके साथी को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराते हुए तीन साल कैद अौर एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। सिद्धू ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की और सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इसके बाद पिछले दिनों इस पर सुनवाई शुरू हुई।लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज इस पर आज फैसला सुनाया।
पिछली सुनवाइयों में सिद्धू के वकील आरएस चीमा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि हाईकोर्ट ने इस मामले में सिद्धू को सजा सुनाने समय साक्ष्यों पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि गैर इरादतन हत्या के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ जो फैसला दिया वह चिकित्सकीय साक्ष्यों पर नहीं था।
जस्टिस जे चेलेमेश्वर व एसके कौल की बेंच के समक्ष उनके वकील आरएस चीमा ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट से जुड़े साक्ष्यों में कई कमियां थीं। दूसरे पक्ष के गवाहों ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष अलग-अलग बयान दिए थे। उनका कहना था कि छह विशेषज्ञ चिकित्सकों के पैनल को जिम्मा दिया गया था कि वह मौत के कारण पर अपनी राय दे, लेकिन इनमें से कुछ को गवाही के लिए नहीं बुलाया गया। केवल दो चिकित्सकों की ही गवाही दर्ज की गई।
पंजाब सरकार की तरफ से पेश वकील ने कहा कि इस बात का कोई सुबूत नहीं है कि पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पडऩे से हुई थी, न कि ब्रेन हैमरेज से। सिद्धू को जानबूझकर नहीं फंसाया गया है। राज्य सरकार ने कहा कि निचली अदालत का फैसला रद करने का हाई कोर्ट का आदेश सही है। सिद्धू ने गुरनाम सिंह के सिर पर मुक्का मारा था जिससे ब्रेन हेमरेज में उनकी मौत हुई थी।
यह है पूरा मामला
1988 में सिद्धू का पटियाला में कार से जाते समय गुरनाम सिंह नामक बुजर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया। आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई और बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया। बाद में ट्रायल कोर्ट ने सिद्धू को बरी कर दिया।
इसके बाद मामला पंजाब एवं हाईकोर्ट में पहुंचा। 2006 में हाई कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू और रुपिंदर सिंह को दोषी करार दिया और तीन साल कैद की सजा सुनाई। उस समय सिद्धू अमृतसर से भाजपा के सांसद थे और उनको लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा था। सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू की सजा पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इसके बाद हुए उपचुनाव में सिद्धू एक बार फिर अमृतसर से सांसद चुने गए।