बड़ी खबर: चीन-नॉर्थ कोरिया के बीच ये समझौते बढ़ा सकती है अमेरिका की चिंता

2011 में नॉर्थ कोरिया की सत्ता पर बैठने के बाद तानाशाह किम जोंग उन पहली बार देश के बाहर निकला है. किम जोंग उन ने एक ट्रेन के जरिए अपने सबसे करीबी दोस्त चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की.

बड़ी खबर: चीन-नॉर्थ कोरिया के बीच ये समझौते बढ़ा सकती है अमेरिका की चिंताये मुलाकात काफी ऐतिहासिक बताई जा रही है. वो इसलिए क्योंकि किम जोंग उन, कुछ समय में ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कर सकते हैं. खबरों की मानें, तो किम इसी मुलाकात की चर्चा के लिए चीन गए थे. 

किम जोंग उन एक विशेष ट्रेन के जरिए नॉर्थ कोरिया से बीजिंग आया. ये वही ट्रेन थी, जिसमें किम के पिता किम जोंग इल भी खुफिया तरीके से चीन आए थे. इस मुलाकात के बाद तानाशाह किम ने कहा कि उत्तर कोरिया संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बातचीत करने और दोनों देशों के बीच एक शिखर सम्मेलन के लिए तैयार है. मुलाकात के दौरान तानाशाह ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को उत्तर कोरिया आने का निमंत्रण दिया. जिसे शी ने स्वीकार कर लिया.

उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में किम जोंग उन ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार चुंग यी योंग से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद जो सामने आया वो किम जोंग की फितरत के बिल्कुल अलग था. योंग ने बताया कि परमाणु निरस्त्रीकरण के मुद्दे पर अमेरिका से बातचीत के लिए किम जोंग उन तैयार हैं और बातचीत के दौरान न्यूक्लियर टेस्ट और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को बंद रखेगा.

लेकिन अब किम का बेहद खुफिया तरीके से चीन पहुंचना, उसकी अमेरिका के लिए नई रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है.

चीन और उत्तर कोरिया की दोस्ती 73 साल पुरानी है, जापान की गुलामी के बाद मिली आज़ादी के पहले से चीन कोरिया के कम्युनिस्ट संगठन और उसके नेता किम इल संग जो कि किम जोंग उन के दादा भी थे, उनका साथ देता आया है.

कोरिया के दो फाड़ होने और उत्तर कोरिया में किम इल की सरकार बनाने में भी चीन का बड़ा हाथ था. लेकिन उत्तर कोरिया और चीन की दोस्ती जितनी पुरानी है, उतनी पुरानी उत्तर कोरिया और अमेरिका की दुश्मनी भी है. कोरिया के विभाजन के बाद से ही अमेरिका को किम खानदान का शासन कभी फूटी आंख नहीं सुहाया.

लेकिन नॉर्थ कोरिया और अमेरिका के बीच जब जब युद्ध के हालात बने, हर बार चीन उत्तर कोरिया के लिए दीवार की तरह खड़ा हुआ नज़र आया.

चीन और उत्तर कोरिया के बीच एक संधि भी है, वो ये है अगर कोई दूसरा देश चीन या उत्तर कोरिया में से किसी पर हमला करता है तो दोनों देशों को तुरंत दूसरे का सहयोग करना पड़ेगा पिछले सालों में इन दोनों देशों ने इस संधि की वैधता की अवधि बढ़ाकर 2021 तक कर दी है.

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