देश में कोई भी लिबरल व्यक्ति या संस्था सुरक्षित नहीं: जस्टिस धर्माधिकारी

सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पंसारे मर्डर केस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस धर्माधिकारी ने गुरुवार को कहा कि आज के समय में देश में कोई भी उदारवादी सोच वाले व्यक्ति या संस्था सुरक्षित नहीं हैं.

दाभोलकर और पंसारे हत्या मामले की सुनवाई बॉम्बे हाईकोर्ट में चल रही है. सुनवाई के दौरान जस्टिस धर्माधिकारी ने कहा कि हमलों से कोई संस्था आगे नहीं बढ़ती… यहां तक कि न्यायपालिका भी. उन्होंने आगे कहा कि भारत की छवि ऐसी बन गई है कि लोग सोचने लगे हैं कि उदारवादी या खुली विचारधारा वाला यहां सुरक्षित नहीं रह गया है.

वर्तमान स्थिति पर बोलते हुए जस्टिस ने कहा कि स्थितियां ऐसी बन गई हैं कि अंतरराष्ट्रीय संगठन और लोग हमारे साथ शैक्षणिक, सांस्कृतिक स्तर पर कार्यक्रम से कतराते हैं. क्या हम एक कोकोन (सुरक्षा कवच) में रहना चाहते हैं?

बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले साल अगस्त में भी नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पंसारे की हत्या मामले पर सुनवाई के दौरान कहा था कि दोनों को योजना के साथ मारा गया था. हाईकोर्ट ने इन हत्याओं के पीछे किसी संगठन के होने की भी आशंका जाहिर की थी. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि मामले की आगे जांच होनी चाहिए और दोषियों को बख्शा नहीं जानना चाहिए.

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तब जस्टिस धर्माधिकारी ने आशंका जताते हुए कहा था कि रिपोर्ट देखकर लगता है कि कोई ना कोई संगठन हत्यारों की मदद कर रहा था. हत्या करने वालों को आर्थिक मदद भी दी जा रही थी. ऐसा लगता है कि दोनों हत्याओं के लिए खास तरीके से योजना बनाई गई.

दाभोलकर की हत्या अगस्त 2013 में की गई थी, जबकि गोविंद पानसारे का कत्ल 20 फरवरी 2015 को हो गया था. 2015 में ही 30 अगस्त को एक और बुद्धिजीवी एमएम कुलबुर्गी की भी हत्या कर दी गई, इस मामले को भी बुद्धिजीवियों की हत्याओं से जोड़कर देखा गया था.

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