PNB महाघोटाले में न फंस जाए सातवें वेतन आयोग का फायदा, जानिए यंहा

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को केन्द्र सरकार की मंजूरी मिले लगभग दो साल होने वाले हैं लेकिन बढ़ा हुआ वेतन पाने के लिए कर्मचारियों का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. वित्त मंत्रालय में सूत्रों को आधार बताते हुए एक वेबसाइट ने दावा किया है कि केन्द्र सरकार सरकारी बैंकों में हुए हजारों करोड़ के घोटालों के चलते दबाव महसूस कर रही है और इसके चलते वह केन्द्रीय कर्मचारियों को बढ़ी हुई न्यूनतम सैलरी देने के फैसले को आगे टाल सकती है.   PNB महाघोटाले में न फंस जाए सातवें वेतन आयोग का फायदा, जानिए यंहा

लगभग 50 लाख कर्मचारियों को वेतन आयोग की सिफारिश से न्यूनतम सैलरी में हुए 21,000 रुपये तक के इजाफे के लिए और इंतजार करना पड़ेगा. केन्द्र सरकार ने जून 2016 में न्यूनतम सैलरी पर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को मानते हुए न्यूनतम सैलरी को 7000 रुपये से 18,000 रुपये प्रति माह करने का फैसला लिया था. यह इजाफा करने के लिए केन्द्र सरकार ने न्यूनतम सैलरी को 2.57 गुना बढ़ाने का प्रावधान किया था.

लेकिन केन्द्र सरकार के इस फैसले के बाद केन्द्रीय कर्मचारियों ने कम से कम 3.68 गुना इजाफे के साथ 26,000 रुपये बेसिक सैलरी की मांग की है. गौरतलब है कि केन्द्र सरकार कर्मचारियों की मांग के बाद न्यूनतम सैलरी में तीन गुना इजाफा करते हुए 21,000 रुपये प्रति माह बेसिक सैलरी देने की योजना पर काम कर रही है. लेकिन अब वित्त मंत्रालय के सामने सरकारी बैंकों में अप्रैल 2013 से जून 2016 तक 2,450 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड से दबाव बढ़ गया है. वहीं हाल में पंजाब नेशनल बैंक में हजारों करोड़ के घोटाले ने एक बार फिर सरकार के सामने कड़ी चुनौती खड़ी कर दी है.

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गौरतलब है कि मौजूदा समय में केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को वेतन आयोग की सिफारिश के आधार पर 2.57 गुना बेसिक सैलरी दी जा रही है. लेकिन कर्मचारियों की मांग को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार इसे बढ़ाने का फैसला लेने की बात कह चुकी है. केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कर्मचारियों की मांग पर राज्यसभा में भी भरोसा दिलाया है कि वह इसमें इजाफा करना चाहते हैं. न्यूनतम सैलरी पर केन्द्र सरकार के इस रुख के बाद माना जा रहा था कि केन्द्रीय कर्मचारियों को नए वित्त वर्ष में 1 अप्रैल 2018 से बढ़ी हुई न्यूनतम सैलरी मिलने लगेगी.

हाल में हुए त्रिपुरा चुनावों में प्रचार के दौरान भी केन्द्र सरकार ने दावा किया था कि राज्य में बीजेपी सरकार बनने के बाद सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के आधार पर सैलरी दी जाएगी. गौरतलब है कि त्रिपुरा में मौजूदा समय में कर्मचारियों को चौथे वेतन आयोग के आधार पर ही सैलरी मिलती है. लिहाजा, केन्द्र सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के बयान और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा चुनावी रैलियों में किए गए वादे के बाद राज्य के कर्मचारियों ने बीजेपी के पक्ष में वोट देते हुए सत्तारूढ़ लेफ्ट पार्टी को बाहर का रास्ता दिखाने का काम किया है.

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