हाईकमान को मेरे से दिक्कत है तो पार्टी से निकाल दे: शत्रुघ्न सिन्हा

भारतीय जनता पार्टी के सांसद व मशहूर फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने एक बार फिर पार्टी हाईकमान पर हमला बोला। उन्होंने  कहा कि हाईकमान उन्हें पार्टी से निकालना चाहता है तो वे खुशी-खुशी पार्टी को छोड़ने को तैयार हैं, लेकिन वह कभी भी सच बोलने से पीछे नहीं हटेंगे। शत्रुघ्न सिन्हा श्री आनंदपुर साहिब के गुरुद्वारा तख्त श्री केसगढ़ साहिब में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के साथ माथा टेकने के बाद पत्रकारों से मुखातिब थे।हाईकमान को मेरे से दिक्कत है तो पार्टी से निकाल दे: शत्रुघ्न सिन्हा

बागी तेवर दिखा राष्ट्रीय मंच में शामिल होने वाले शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रीय मंच किसी पार्टी का नाम नहीं बल्कि एक आंदोलन है। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य दो व्यक्तियों के हाथों की कठपुतली बन चुकी भाजपा सरकार को चलता करना है। उन्होंने बताया उनके विचारों पर सहमति जताते हुए जनता दल (यू), कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी व अन्य दल एक मंच पर एकत्र हो गए हैं। शत्रुघ्न सिन्हा ने गुरुघरों के लंगर पर लगाए गए जीएसटी के संबंध में कहा कि केंद्र सरकार को धार्मिक स्थानों पर जीएसटी लगाए जाने का निर्णय वापस लेना चाहिए।

इससे पूर्व रविवार को चंडीगढ़ में भी शत्रुघ्‍न सिन्‍हा पूरे तेवर में दिखे। उन्‍होंने पूर्व केंद्रीय वित्‍तमंत्री यशवंत सिन्‍हा के साथ पार्टी पर जमकर हमले किए। शत्रुघ्‍न सिन्‍हा ने फिल्‍मी अंदाज में कहा, सच बोलना अगर बगावत है तो समझो हम भी बागी हैं। इस मौके पर चंडीगढ़ में भाजपा के वरिष्ठ नेता हरमोहन धवन ने भी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोला। धवन पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और सांसद शत्रुघ्न सिन्हा की मौजूदगी में राष्ट्रीय मंच के साथ जुड़े। धवन ने अपने समर्थकों के साथ राष्ट्रीय मंच का हाथ थामा।

यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा ने भाजपा नेतृत्‍व पर सवाल उठाए। यशवंत सिन्हा ने कहा कि पार्टी में लोकतंत्र खत्म हो गया है। पार्टी दो लोगों के हाथों की कठपुतली बन गई है। भाजपा अब वह पार्टी नहीं रही जब 1993 में उन्होंने ज्वाइन किया था। पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि आज मुद्दा नहीं देश के सामने आज कई मुद्दे हैं। देश में आज निराश का माहौल है। भाजपा ने लोगों से जो चुनावी वायदे किए थे वह सब जुमले थे। राष्ट्रीय मंच को उन्होंने राजनीति को सही दिशा में आगे ले जाने वाला कदम बताया। जो राष्ट्रीय हित की बात करते हैं वह राष्ट्रीय मंत्र में आ सकते हैं।

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