एक हकीकत ये भी, 36 जिला मुख्यालयों में नहीं खिल सका कमल
जीत के जश्न में भले ही राजनीतिक विश्लेषकों की नजर अभी इन पर न गई हो पर, देर-सबेर जरूर जाएगी। तब यह सवाल जरूर उठेगा कि आठ महीने पहले विधानसभा चुनाव में 33 जिलों में भाजपा के अलावा किसी दूसरी पार्टी का खाता न खोलने वाली जनता ने कई जिला मुख्यालयों के निकायों में भाजपा को क्यों नहीं जीतने दिया?
अगर प्रदेश की सभी नगर पालिका परिषदों के परिणाम देखें तो 198 में 38 से ज्यादा स्थानों पर भाजपा उम्मीदवार जमानत नहीं बचा पाए। इनमें केंद्रीय मंत्री उमा भारती की संसदीय सीट झांसी भी है, जहां तीन स्थानों पर भाजपा के अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों को जमानत गंवानी पड़ी। केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा के क्षेत्र गाजीपुर की जमनिया में भी भाजपा उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई।
ये सवाल भी हैं गंभीर
आखिर क्या वजहें हैं कि इन नेताओं के घर कमल नहीं खिल सका? इस पर भी विचार करना होगा कि विधायकों, सांसदों के परिवारीजनों को टिकट न देने का एलान करने वाली भाजपा ने समझौता करते हुए जब इनके ही लोगों या घर वालों को टिकट दे दिया तो फिर वे कैसे हार गए।
उन स्थानों पर पार्टी की हार की वजह क्या बनी जहां पुराने कार्यकर्ताओं की दावेदारी की अनदेखी करके पार्टी नेताओं ने अपनी पसंद या विधायकों, सांसदों अथवा पार्टी के अन्य किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के कहने पर दूसरों को चुनाव में उतारा था। शाहजहांपुर इसका सटीक उदाहरण है।
यह सीट जीतने के लिए भाजपा ने कांग्रेस नेता और केंद्र में मंत्री रहे जितिन प्रसाद के भाई और भाभी को पार्टी में शामिल किया लेकिन इसके बावजूद भाजपा यह सीट न जीत सकी। पश्चिम के छह जिलों में सात सांसदों और 26 विधायकों के होते हुए भी 73 निकायों में 62 उसके हाथ से निकल गए। गोंडा व सीतापुर में पार्टी प्रत्याशियों की हार कैसे हो गई जहां आठ महीने पहले भाजपा के विधायक जीते थे?
इसके पीछे या तो कार्यकर्ताओं या फिर इन मंत्रियों से जनता में पनप रही नाराजगी बड़ी वजह नजर आती है। यही नहीं, भाजपा संगठन और सरकार में कुछ बड़े नेताओं के अपने घर के वार्डों में भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा है। इससे भी यह संकेत मिलता है कि कार्यकर्ताओं की नाराजगी कहीं न कहीं इसकी वजह बनी।
इन जिलों में निर्दलीयों का दबदबा
आजमगढ़, एटा, औरैया, कन्नौज, कुशीनगर, कासगंज, प्रतापगढ़, पीलीभीत, बलिया, बहराइच, बागपत, शामली, संभल, भदोही की गोपीगंज और महोबा नगर पालिका परिषद सहित कुल 16 जिला मुख्यालय पर अध्यक्ष पद पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी हुए हैं।
इन जगहों पर सपा का कब्जा
इटावा, उन्नाव, गोंडा, फतेहपुर, बांदा, बिजनौर, रामपुर, शाहजहांपुर, सीतापुर और हरदोई जिला मुख्यालय सहित कुल 11 जिलों में स्थित नगर पालिका परिषदों में अध्यक्ष पद पर सपा काबिज हुई है।
कांग्रेस को सिर्फ दो सीट
कांग्रेस मुजफ्फरनगर और रायबरेली मुख्यालय पर स्थित नगर पालिका परिषदों को जीतने में सफल रही है।