विवाह पंचमी से एक दिन पूर्व वृद्धि योग समेत बन रहे हैं कई अद्भूत संयोग!

वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी बुधवार 04 दिसंबर को मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया एवं चतुर्थी तिथि है। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जा रही है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जा रहा है। भगवान गणेश की पूजा करने से आय, सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से बुधवार के दिन गणपति बप्पा की पूजा करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो विवाह पंचमी से एक दिन पूर्व वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से आय में वृद्धि होगी। आइए, पंडित हर्षित शर्मा जी से जानते हैं आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त (Today Puja Time) जानते हैं-

आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 04 December 2024)

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 59 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 24 मिनट परचंद्रोदय-

सुबह 09 बजकर 48 मिनट पर

चंद्रास्त- शाम 08 बजकर 03 मिनट पर

शुभ समय (Today Shubh Muhurat)

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 10 मिनट से 06 बजकर 05 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 37 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 21 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तक

अशुभ समय

राहुकाल – दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से 01 बजकर 30 मिनट तक

गुलिक काल – दोपहर 10 बजकर 53 मिनट से 12 बजकर 11 मिनट तक

दिशा शूल – उत्तर

ताराबल

अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद

चन्द्रबल

मिथुन, कर्क, तुला, धनु, कुम्भ, मीन

भगवान गणेश के मंत्र

1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

2. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

3. ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥

4. ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।

5. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

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