भारतीय स्वाभिमान की ‘शुभयात्रा’… ISS पर कदम रखने वाले पहले भारतीय होंगे शुंभाशु शुक्ला

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए शुभांशु शुक्ला की उड़ान के साथ ही 140 करोड़ भारतीयों का स्वाभिमान सातवें आसमान पर पहुंच गया। शुभांशु ने एक्सिओम स्पेस द्वारा संचालित वाणिज्यिक मिशन के तहत बुधवार को तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ आइएसएस के लिए रवाना होकर इतिहास रच दिया।

स्पेसएक्स के फाल्कन-9 राकेट ने दोपहर 12.01 बजे एक्सिओम मिशन के चार अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से आइएसएस के लिए उड़ान भरी, जिसका दुनिया भर के लोगों ने स्वागत किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुआई में हुई कैबिनेट बैठक में भी अंतरिक्ष मिशन के सफल प्रक्षेपण पर प्रस्ताव पारित कर खुशी जताई गई।

शुक्ला के माता-पिता लखनऊ स्थित सिटी मोंटेसरी स्कूल में इस ऐतिहासिक उड़ान के गवाह बने। इसी स्कूल से शुक्ला ने पढ़ाई (Subhanshu Shukla Education) की है। पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा के 41 साल बाद किसी भारतीय की यह यात्रा हो रही है। राकेश शर्मा की ऐतिहासिक उड़ान के एक वर्ष बाद 1985 में जन्मे शुभांशु दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं।

शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे। राकेश शर्मा 1984 में तत्कालीन सोवियत संघ के सैल्यूट-7 अंतरिक्ष स्टेशन के तहत कक्षा में आठ दिन रहे थे। प्रक्षेपण के 10 मिनट बाद अंतरिक्ष यात्रियों ने धरती का चक्कर काटना शुरू कर दिया, जिसके बाद शुक्ला ने अपने संदेश में कहा कि 41 साल बाद भारत की मानव अंतरिक्ष यात्रा में वापसी।

करीब 28 घंटे की यात्रा के बाद चारों अंतरिक्ष यात्री भारतीय समयानुसार शाम 4:30 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचेंगे। शुभांशु शुक्ला अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की अंतरिक्ष यात्री पूर्व मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन, हंगरी के अंतरिक्ष यात्री टिबोर कपू एवं पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की एक्सिओम-4 मिशन का हिस्सा हैं। अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में 14 दिन बिताएंगे और अपने मिशन के दौरान 60 प्रयोग करेंगे।

शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में सात भारत-केंद्रित अध्ययन करेंगे। उड़ान से पहले शुक्ला ने कहा, उम्मीद है कि देश की एक पीढ़ी की जिज्ञासा को जगा पाएंगे और नवाचार को बढ़ावा दे पाएंगे।

आम का रस, करी-चावल साथ ले गए
एक्सिओम मिशन के अंतरिक्ष यात्री अपने देश से जुड़ा पसंदीदा खाद्य पदार्थ भी ले जा रहे हैं। जैसे कि आम के रस के साथ भारतीय करी और चावल, हंगरी का मसालेदार पेपरिका पेस्ट और पोलैंड का फ्रीज-फ्राइड “पिरोगी”।

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आइएसएस के लिए रवाना, 41 साल बाद अंतरिक्ष में लहराएगा तिरंगा
पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की ऐतिहासिक उड़ान के एक वर्ष बाद 1985 में जन्मे शुभांशु दूसरे भारतीय बने
भारत के शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर ड्रैगन अंतरिक्ष यान के साथ स्पेसएक्स फाल्कन 9 राकेट ने फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर के लांच पैड से आइएसएस के लिए भरी उड़ान।

यह सिर्फ आइएसएस की मेरी यात्रा की शुरुआत नहीं है, बल्कि भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत भी है। मेरी इच्छा है कि सभी देशवासी इसका हिस्सा बनें। आपका सीना भी गर्व से चौड़ा होना चाहिए… जय हिंद! जय भारत।
शुभांशु शुक्ला, भारतीय अंतरिक्ष यात्री

एनडीए से अंतरिक्ष का सफर
10 अक्टूबर, 1985 को लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के लिए चयनित होने से पहले सिटी मांटेसरी स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की थी।

2006 में वह भारतीय वायुसेना का हिस्सा बने। उनके पास सुखोई-30, मिग-29, जगुआर और डोर्नियर-228 सहित विभिन्न प्रकार के विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव है।

उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमटेक की डिग्री प्राप्त की है।

2019 में उन्हें विंग कमांडर के पद पर पदोन्नत किया गया। उसी वर्ष इंस्टीट्यूट आफ एयरोस्पेस मेडिसिन के माध्यम से अंतरिक्ष यात्री चयन प्रक्रिया के तहत उनका नाम सामने आया।

2021 में शुक्ला ने रूस के गगारिन कास्मोनाट ट्रेनिंग सेंटर में बेसिक एस्ट्रोनाट ट्रेनिंग पूरी की। रूस से लौटने के बाद बेंगलुरु स्थित इसरो के अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण जारी रखा।

2024 में शुक्ला को भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन के पद पर पदोन्नत किया गया। वह अपने परिवार में सशस्त्र बलों में शामिल होने वाले पहले व्यक्ति हैं।

शुभांशु शुक्ला के पिता शंभू दयाल शुक्ला एक रिटायर्ड सरकारी अधिकारी हैं। उनकी मां आशा शुक्ला एक हाउस वाइफ हैं। शुभांशु तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं।

शुंभाशु शुक्ला ने कब देखा था स्पेस का सपना?
स्पेसएक्स फाल्कन 9 राकेट पर सवार होकर अंतरिक्ष की ओर बढ़ते हुए ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने पूरे देश की उम्मीदों को पंख लगा दिए और अपने उस सपने को साकार किया, जो संभवतः पहली बार उन्होंने तब देखा था जब वह बच्चे के रूप में एक एयर शो में गए थे।

शुक्ला इसरो-नासा समर्थित एक्सिओम स्पेस के वाणिज्यिक अंतरिक्ष यान का हिस्सा हैं, जो फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए 14 दिन की यात्रा पर रवाना हुआ है। लाखों लोग अंतरिक्ष में उड़ने का सपना देखते हैं और शुक्ला जैसे कुछ लोग ही इसे साकार कर पाते हैं। उनकी बड़ी बहन शुचि शुक्ला को याद है कि यह सब कब शुरू हुआ था।

उन्होंने कहा, बचपन में वह एक बार एयर शो देखने गया था। बाद में उसने मुझे बताया कि वह विमान की गति और ध्वनि से कितना मोहित हो गया था। फिर उसने उड़ने के अपने सपने के बारे में बताया, लेकिन निश्चित रूप से उस समय कोई नहीं बता सकता था कि वह सपने को कितनी जल्दी पूरा करेगा।

शुचि ने प्रक्षेपण से पहले पीटीआई से कहा, एक भारतीय और उसकी बहन के तौर पर यह गर्व का क्षण है, क्योंकि मेरे भाई की अंतरिक्ष यात्रा में एक अरब से ज्यादा भारतीयों की उम्मीदें और आशीर्वाद हैं। शुक्ला को भारत के पहले मानव अंतरिक्ष यान मिशन गगनयान के लिए 2019 में साथी परीक्षण पायलट प्रशांत बालकृष्णन नायर, अंगद प्रताप और अजीत कृष्णन के साथ भारत के अंतरिक्ष यात्री दल का हिस्सा बनने के लिए चुना गया था।

इस मिशन के 2027 में प्रक्षेपित होने की संभावना है। शुक्ला के बैक-अप अंतरिक्ष यात्री नायर ने कहा, उनके अंदर वह इच्छा और ध्यान शक्ति है जो वह जीवन में चाहते हैं। एक बार जब वह निर्णय ले लेते हैं, जैसे कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाला पहला भारतीय बनना, तो वह उस पर ध्यान केंद्रित करते हैं। पूरे संसाधन और दिमाग को इसमें लगा देते हैं।

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