लालू यादव के करीबी राजद विधायक आलोक मेहता के 16 ठिकानों पर ED का छापा
ईडी की अलग-अलग टीम पूर्व मंत्री आलोक मेहता के पटना, समस्तीपुर, दिल्ली उत्तर प्रदेश समेत 16 ठिकानों पर पहुंची है। अधिकारी दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व रेल मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की पार्टी के विधायक आलोक मेहता के 16 ठिकाने पर प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने छापेमारी की है। ईडी की अलग-अलग टीम पूर्व मंत्री आलोक मेहता के पटना, समस्तीपुर, वैशाली, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के 16 ठिकानों पर पहुंची है। आलोक मेहता पर बैंक लोन से जुड़े मामलों में गड़बड़ी करने का आरोप लगा है। इन्हीं सब गड़बड़ियों की जांच करने के लिए ईडी के अधिकारी उनके ठिकानों पर पहुंचे हैं।
बता दें कि मामला वैशाली कोऑपरेटिव बैंक से जुड़ा है। बताया जा रहा है कि इसमें करोड़ों रुपए के हेरफेर को लेकर जांच चल रही है। मिली जानकारी के अनुसार, वित्तीय अनियमितताओं और धोखाधड़ी के आरोपों के तहत ईडी ने यह कार्रवाई की है। ईडी ने पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता के पटना, वैशाली, समस्तीपुर से लेकर कोलकाता, वाराणसी और दिल्ली के ठिकानों पर छापेमारी की है। ईडी ने पटना में राजद विधायक के सरकारी और निजी आवास पर भी छापेमारी की है।
मंत्री बनने के बाद पिता को दे दिया बैंक चेयरमैन का पद
बताया जा रहा है कि आलोक मेहता पहले को-ऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन खुद बने थे। जब वह बिहार सरकार के मंत्री बन गये तो उनके पिता चेयरमैन की जिम्मेदारी संभालने लगे। मंत्री बनने से पहले आलोक मेहता लगभग 20 साल तक इस बैंक के चेयरमैन रहे थे। सूत्रों ने बताया कि खुलासा हुआ है कि लिच्छवि कोल्ड स्टोरेज प्राइवेट लिमिटेड और महुआ को-ऑपरेटिव कोल्ड स्टोरेज नाम की दो कंपनियों ने बैंक के करीब 60 करोड़ का गबन किया था। इसको लेकर ईडी ने बड़ी कार्रवाई की है। अब देखना होगा कि आगे और क्या निकलकर सामने आता है?
लालू और तेजस्वी- दोनों के करीबी हैं आलोक मेहता
पटना विश्वविद्यालय के छात्र रहे आलोक मेहता बिहार के सीनियर राजनेता हैं। राजद में बहुत कम लोग ऐसे हैं, जो लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव- तीनों के चहेते हैं। आलोक मेहता हर बार महागठबंधन सरकार में मंत्री रहे हैं और हर बार उन्हें राजद ने मजबूत विभाग दिए थे। जनवरी 2024 में महागठबंधन सरकार गिरने से पहले जब आईएएस केके पाठक से तत्कालीन शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की ठनी हुई थी तो राजद ने वह विभाग अपने विश्वसनीय आलोक मेहता को दिया था। बिहार के हिसाब से बेहद खास राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग लंबे समय तक आलोक मेहता के पास रहा था।