बेटे ने प्यार किया तो माता-पिता पर दर्ज किया गया प्रकरण, HC ने निरस्त किया आरोप पत्र
जबलपुर: हाईकोर्ट ने सतना निवासी दंपति पर महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपों को खारिज करते हुए आरोप-पत्र निरस्त किया। महिला, जो उनके बेटे के साथ रिश्ते में थी, ने आत्महत्या की थी। कोर्ट ने पाया कि दंपति के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं थे।
जबलपुर हाईकोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में सतना निवासी याचिकाकर्ता बद्री प्रसाद तिवारी और उनकी पत्नी गीता तिवारी के खिलाफ दायर आरोप-पत्र को निरस्त करने का आदेश दिया। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि दंपति पर महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने के कोई ठोस साक्ष्य नहीं हैं।
याचिकाकर्ताओं के मकान में एक महिला अपने बेटे के साथ किराए पर रहती थी। इस दौरान महिला के उनके बेटे नवीन तिवारी के साथ प्रेम संबंध स्थापित हो गए थे। महिला गर्भवती हुई और उसने गर्भपात करवाया। इसके बाद महिला का अपने पति से विवाद हुआ और उसने 6-7 अक्टूबर 2022 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
महिला की आत्महत्या के लगभग एक महीने बाद 3 नवंबर 2022 को पुलिस ने याचिकाकर्ता दंपति और उनके बेटे के खिलाफ धारा 306, 201, और 34 के तहत एफआईआर दर्ज की। पुलिस ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ताओं को महिला के बेटे द्वारा अश्लील वीडियो और फोटो बनाकर महिला को ब्लैकमेल करने की जानकारी थी। महिला ने मदद मांगी, लेकिन उन्होंने उसे अनसुना किया और बेटे का पक्ष लिया।
हाईकोर्ट का निर्णय
याचिकाकर्ता दंपति ने तर्क दिया कि उनके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का कोई साक्ष्य नहीं है। हाईकोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ प्रस्तुत आरोप-पत्र में ऐसे तथ्य नहीं हैं जो यह साबित करें कि उन्होंने महिला को आत्महत्या के लिए प्रेरित किया। महिला की ओर से सरकार ने दावा किया कि मृतका ने आत्महत्या के लिए उनके बेटे को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि, अदालत ने इस दावे को अपर्याप्त माना और याचिकाकर्ता दंपति को आरोपों से मुक्त करते हुए राहत प्रदान की। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता ईशान दत्त ने पैरवी की।