एमपी: प्रदेश में मुस्लिम लीग की दस्तक; संशोधन बिल और पैगंबर की सीरत पर बात से शुरुआत

भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों की मजबूत मौजूदगी के बीच मप्र में में कभी तीसरे दल को पैर रखने की जगह नहीं मिल पाई। वक्त-वक्त पर इसके लिए कोशिशों का सिलसिला जरूर चलता रहा है। ऐसी ही एक दस्तक फिर सुनाई देने लगी है। दक्षिण भारत में अपना वर्चस्व रखने वाली इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग पार्टी (IUML) इसी सप्ताह राजधानी में एक बड़ा आयोजन कर रही है। मजहबी मुद्दों के साथ हो रही इस शुरुआत में कई सियासी बिंदु शामिल होने वाले हैं। इसके लिए IUML के कई बड़े नेता भोपाल आएंगे।

सूत्रों का कहना है कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग पार्टी (IUML) इसी माह की 21 तारीख को राजधानी भोपाल में एक बड़ा आयोजन करने वाली है। कार्यक्रम में IUML के सांसद ईटी बशीर, राज्यसभा सांसद एडवोकेट हारिस बीरन समेत कई राष्ट्रीय पदाधिकारी शामिल होंगे। कार्यक्रम गांधी भवन में दोपहर एक से 4 बजे तक होगा। 

मुद्दे कई शामिल
केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति में शामिल सांसद ईटी बशीर राजधानी में होने वाले आयोजन में इस मुद्दे पर विशेष बात करेंगे। अमेंडमेंट बिल के खिलाफ खड़े सांसद बशीर भोपाल के आयोजन में वह बातें रखेंगे, जिनके आधार पर वे संसदीय समिति में संशोधन बिल की मुखालिफत कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि इस आयोजन के दौरान उन सभी लोगों को भी बुलाया गया है, जिन्होंने पिछले दिनों अलग अलग थानों में शिकायत कर महंत यति नरसिंहानंद के खिलाफ FIR करने की मांग की है। इन शिकायतों के बावजूद FIR न होने को लेकर राज्यसभा सांसद एडवोकेट हारिस बीरन खास टिप्स देंगे।

आकार ले सकती है प्रदेश टीम
सूत्रों का कहना है कि IUML अब मप्र में भी अपनी टीम को आकार देने की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि प्रदेश में मौजूद मुस्लिम समुदाय की संख्या को देखते हुए IUML को यहां अपने कदम जमाना आसान महसूस हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने अपने प्रदेश प्रभारियों के नाम तय कर लिए हैं, जिनके नाम राजधानी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान ऐलान किए जा सकते हैं।

अभी तीसरे मोर्चा के कदम
मप्र के आकार लेने से अब तक यहां महज दो पार्टियां भाजपा और कांग्रेस ही अपनी धाक जमाए हुए हैं। हालांकि समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवाद पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, आम आदमी पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन जैसी पार्टियों ने भी अपनी किस्मत आजमाई। लेकिन बेहद सीमित क्षेत्र से आगे यह नहीं बढ़ पाई हैं। नई पार्टियों की आमद के मंसूबे भी सिर्फ अपनी राष्ट्रीय स्तर की पहचान को मजबूत बनाए रखने तक ही सिमटे हुए हैं। 

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