एमपी: महिलाओं को सुरक्षित वातावरण देने पुलिस ने शुरू किया ‘मैं हूं अभिमन्यु अभियान’
मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा प्रदेश के प्रत्येक जिले में महिलाओं और बालिकाओं के विरुद्ध लगातार हो रहे अपराधों व घरेलू हिंसा जैसी घटनाओं को रोकने, महिलाओं को सुरक्षित वातावरण देने के उद्देश्य से “मैं हूं अभिमन्यु” अभियान शुरू किया गया है। प्रदेशभर में गुरुवार से शुरू हुआ यह अभियान 12 अक्टूबर तक चलेगा। इसके तहत प्रदेश के खंडवा जिले में भी कई कार्यक्रम करवाए जा रहे हैं। इसी के चलते खंडवा पुलिस द्वारा जिले के प्रत्येक थाना क्षेत्र के प्रमुख स्कूल एवं कॉलेजों में जाकर “मैं हूंअभिमन्यु” कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जिसमें शुक्रवार सुबह मैराथन दौड़ का आयोजन किया गया। यह दौड़ स्थानीय स्टेडियम से शुरू होकर केवलराम चौराहा होते हुए नगर निगम पर समाप्त हुई। यहां पर खंडवा के विधायक, महापौर और पुलिस अधीक्षक द्वारा पुरस्कार वितरण भी किए गए। इस दौरान “मैं हूँ अभिमन्यु” का सेल्फी पॉइंट सभी प्रमुख स्कूल, कॉलेज, मॉल, गरबा और दुर्गा पंडाल में भी लगाया गया है।
खंडवा जिले में गुरुवार से इस अभियान की शुरुआत करते हुए नगर के सिविल लाइन क्षेत्र स्थित सुंदरबाई गुप्ता कन्या शाला में जिला पुलिस के आला अधिकारियों, सुभाष स्कूल के प्राचार्य, शिक्षकों एवं छात्राओं के साथ मिलकर इस अभियान की शुरुआत की गई। वहीं थाना प्रभारी पदमनगर राजेन्द्र सयदे द्वारा शासकीय हाई स्कूल पदमनगर में भी “मैं हूं अभिमन्यु” अभियान के तहत बच्चों को इस अभियान की जानकारी दी गई और उन्हें जागरूक किया गया। इसमें छात्र-छात्राओं को नशा न करने, दहेज प्रथा का विरोध करने, भ्रूण हत्या पर रोक लगाने, समाज में लिंग भेद के प्रति जागरूकता लाने, रूढ़िवादिता को मिटाने जैसी सामाजिक बुराइयों के बारे में बताया गया। साथ ही, पुलिस के हेल्पलाइन नंबर भी बताए गए और नारी सम्मान की शपथ दिलाई गई।
यह है ‘मैं हूं अभिमन्यु’ अभियान का उद्देश्य
बता दें कि “मैं हूं अभिमन्यु” अभियान का उद्देश्य समाज में महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना है। महिलाओं के खिलाफ अपराध अक्सर नशे की लत, दहेज प्रथा और पुरानी रूढ़िवादिता जैसी खतरनाक प्रथाओं के चलते होते हैं, जो सामूहिक रूप से हिंसा और उत्पीड़न को भी बढ़ावा देते हैं। इसलिए यह पहल अभद्रता, असंवेदनशीलता और लिंग भेदभाव जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी ध्यान खींचने का काम करती है। वहीं बालिका भ्रूण हत्या, अशिक्षा और महिलाओं को समाज में उनके उचित स्थान से वंचित करना हमारी प्रगति के लिए खतरा माना जाता है। ये प्रथाएँ जनमानस को नुकसान पहुंचाने के साथ ही हमारे समाज के नैतिक ताने-बाने को भी तोड़ती हैं। इसीलिए “मैं हूं अभिमन्यु” के जरिये इन गहरी जड़ों वाली बुराइयों को समाप्त कर एक ऐसे समाज को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है, जहाँ महिलाओं के साथ सम्मान और समानता का व्यवहार किया जाए।