कानपुर: शहर के कारोबारियों के 100 करोड़ से ज्यादा के कंसाइनमेंट फंसे

कानपुर में बांग्लादेश में चल रहे बवाल से शहर के चमड़ा उद्योग को खासा असर पड़ने की संभावना है। एक सप्ताह पहले भेजे गए करीब 100 करोड़ के कंसाइनमेंट कारोबारियों के बांग्लादेश के बाॅर्डर पर फंस गए हैं। शहर से चमड़ा, सोल, इंजीनियरिंग, पॉली फिल्म, प्लास्टिक पैकेजिंग फाइबर का निर्यात किया जाता है। वहीं बांग्लादेश से कच्चा और तैयार चमड़े का आयात होता है। कई निजी कंपनियों की फैक्टरी और कार्यालय भी वहां पर हैं, जिन्हें फिलहाल बंद कर दिया गया है।


बांग्लादेश और कानपुर के बीच सालाना तीन से चार सौ करोड़ का आयात-निर्यात होता है। श्रम बल सस्ता होने के कारण चमड़ा क्षेत्र भी वहां पर तेजी से बढ़ रहा है। कपड़ा उद्योग का बहुत बड़ा हब है। हालांकि कानपुर से इस क्षेत्र में कारोबार नहीं किया जाता है। वहां पर चल रही हिंसा से शहर के कारोबारी परेशान हैं। उनको अपना भुगतान फंसने का डर सता रहा है। हालांकि एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन का लाभ लेने वाले निर्यातकों को जोखिम की संभावना कम हो सकती है। जानकारों का कहना है कि वहां के बैंक भी बंद हो गए हैं और नकदी संकट है। इसका असर भुगतान पर पड़ सकता है।

बांग्लादेश से कच्चा और तैयार दोनों प्रकार का चमड़ा आयात किया जाता है। इसके साथ ही शहर से चमड़ा और चमड़ा के उत्पाद, कंपोनेंट, सोल आदि का निर्यात किया जाता है। वहां के संकट पर सरकार की नजर है। उम्मीद है कि जल्द ही वहां के हालात सामान्य होंगे। -राजेंद्र कुमार जालान, राष्ट्रीय अध्यक्ष, चर्म निर्यात परिषद

बांग्लादेश के सोना मस्जिद, बेनापोल, पेट्रापोल पर शहर के कारोबारियों के चमड़ा और चमड़ा के उत्पादों के सौ करोड़ के कंसाइनमेंट फंसने की आशंका है। ये कंसाइनमेंट एक सप्ताह पहले शहर से भेजे गए थे। शहर से बांग्लादेश के बीच करीब तीन सौ से चार सौ करोड़ का सालाना कारोबार है। -आलोक श्रीवास्तव, संयोजक, फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशन


शहर के कई कारोबारियों के बांग्लादेश में अलग-अलग उत्पादों की फैक्टि्रयां और कार्यालय हैं। वहां हिंसा के चलते उनमें चिंता है। कुछ को बंद किया गया है। हालांकि औद्योगिक क्षेत्र में वहां के हालातों का बहुत असर नही है। सेना ने कमान संभाल ली है। -सुनील वैश्य, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आईआईए

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