योगी दरबार में हुआ सरदार का अपमान, सिक्युरिटी ने रोका, कहा- उतारें कृपाण-पगड़ी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लखनऊ जनता दरबार में एक सिक्ख युवक को पगड़ी उतारने को मजबूर कर दिया गया। इस पर सिक्ख युवक की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची। सिक्ख युवक के समर्थन में बोलते हुए सिक्ख समाज ने इस घटनाक्रम की घोर निंदा की है और सीएम योगी से दोषी सुरक्षाकर्मियों के निलंबन की मांग की है। बता दें यह घटना 25 मई की है।
धर्मशाला निवासी तेजपाल सिंह 25 मई को लखनऊ स्थित सीएम योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में अपनी समस्या लेकर पहुंची था। यहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने सुरक्षा का हवाला देते हुए सिक्ख युवक की कृपाण उतरवाई। इसके बाद भी वे नहीं माने और सिक्ख युवक की तलाशी ली।
उन्होंने सिक्ख युवक को पगड़ी उतारने को कहा। इस पर सिक्ख युवक की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची। तेजपाल ने इसका विरोध किया लेकिन सुरक्षाकर्मी नहीं माने। जब सिख ने पगड़ी उतारने ने मना कर दिया तो उसे अंदर आने से रोक दिया गया है। बाहर खड़े सिक्युरिटी पर्सनल्स ने तलाशी के लिए रोक लिया था।
जानकारी मिली है कि तेजपाल शुरू से सीएम से मिलने आते रहे हैं। इसके पहले तो इस तरह से उनकी जांच नहीं की गई। इस पर वहां मौजूद अन्य लोगों ने तेजपाल का सपोर्ट भी किया।
इसी संबंध में मंगलवार को कानपुर में खालसा दल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेस बुलाई। खासला दल के सेक्रेटरी मोहनजीत सिंह ने सीएम योगी से यह अपील की है कि आगे से इस तरह से सिक्खों की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचाई जाए।
उन्होंने कहा पगड़ी और कृपाण सिक्खों का धार्मिक प्रतीक होती है। उसका सदैव आदर किया जाए। आगे से ऐसी घटना न हो इसके लिए उन्होंने दोषी अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी मांग की है। उन्होंने कहा दोषियों को फौरन उनके पदों से निलंबित किया जाए।