गोंडा: 11 करोड़ से होगा गोंडा लोको शेड का विकास

चार दशक के बाद 11 करोड़ की लागत से रेलवे लोको शेड गोंडा का विकास व आधुनिकीकरण किया जाएगा। वर्तमान शेड 1500 वर्ग मीटर में और फैल जाएगा। शेड बड़ा होने के साथ ही लोको (इंजन) की संख्या में बढ़ोतरी हो जाएगी। इससे यह शेड भारतीय रेलवे में टॉप थ्री की श्रेणी में आ जाएगा।
18 अप्रैल 1982 को तत्कालीन रेल राज्यमंत्री शिवनारायण ने 65000 वर्ग मीटर में बने गोंडा डीजल शेड का उद्घाटन किया था। उस समय इस शेड में बिहार के जमालपुर से 22 लोको मिले थे। उस वक्त छोटी लाइन पर ट्रेनों का संचालन ज्यादा होता था। धीरे-धीरे छोटी लाइन को बड़ी लाइन में परिवर्तित कर दिया गया। जिससे गोंडा शेड में लोको की संख्या बढ़ने लगी। वर्तमान में यहां 138 लोको (इंजन) हैं।
रेलवे बोर्ड ने छोटी लाइन को बड़ी लाइन में परिवर्तित करना शुरू किया। करीब तीन वर्ष पूर्व यह शेड डीजल से विद्युत में तब्दील हो गया। अब यह लोको शेड बन चुका है। पूर्ण रूप से विद्युतीकृत है। इसमें लोको की मरम्मत के लिए 40- 40 टन के दो क्रेन हैं। जिससे दोनों क्रेन से अलग-अलग समय में 80 टन वजन उठाया जा सकता था।
मंडल रेल प्रबंधक के निर्णय से 42 वर्ष बाद इस शेड के दिन बहुरे हैं। करीब 11 करोड़ के लागत से शेड का निर्माण कार्य जोरशोर से शुरू हो गया है। शेड का विस्तार 1500 वर्ग मीटर अतिरिक्त जमीन में किया जाएगा। क्षेत्रफल बढ़ने के साथ ही 50-50 टन के दो आधुनिक क्रेन मिले हैं। जिससे 100 टन के लोको का ऊपरी हिस्सा उठाया जा सकता है। सुविधाओं में बढ़ोतरी से लोको मरम्मत के कार्य में रेल कर्मियों को काफी सहूलियत मिलेगी। वहीं शेड में लोको की संख्या 200 हो जाएगी। लोको शेड के वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर आशीष मद्धेशिया ने कहा कि गति शक्ति विभाग से समय से पहले ही कार्य को पूरा करवा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस शेड को भारतीय रेलवे में प्रथम श्रेणी में लाने की तैयारी की जा रही है।
तेजी से कराया जाएगा कार्य
पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ डिवीजन के मंडल रेल प्रबंधक आदित्य कुमार ने बताया कि डिवीजन के विकास कार्यों में बढ़ोतरी की गई है। गोंडा रेलवे लोको शेड को अत्याधुनिक एवं पूर्ण रूप से विद्युतीकृत करने का लक्ष्य है। करीब 11 करोड़ रुपये की लागत से गति शक्ति विभाग से निर्माण कराया जाएगा।