तीन साल तक कैमरे ने किया फॉलो, ऐसे बनी सचिन पर बायोपिक
सचिन तेंदुलकर की जिंदगी पर फिल्म बन कर तैयार है. ‘सचिन ए बिलियन ड्रीम्स’ 26 मई को पर्दे पर आने वाली है. फिल्म को बनाने और सचिन की जिंदगी पर लगातार नई बातें सामने आ रही हैं. जेम्स अर्स्किन ने इस फिल्म का निर्देशन किया है. ऐसा बताया जा रहा है कि इस फिल्म को पूरा करने के लिए लगभग साढ़े तीन साल तक लगातार कैमरे ने सचिन को फॉलो किया गया है. सचिन जहां भी जाते थे उनको फोलो किया जाता था. इस दौरान 10 हजार घंटे के वीडियो फुटेज खोजे गए. रवि और जेम्स ने इस फिल्म को बनाने के विचार से लेकर, परदे पर लाने तक हर चीज के बारे में बताया.
भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, फिल्म के पीछे कड़ी मेहनत की गई. 6 से 8 महीने सचिन से मिलने में ही लग गए थे.रवि भागचंदका के ‘200 नॉट आउट प्रोडक्शंस’ के तहत इस फिल्म को बनाया गया है. इस फिल्म को बनाने बहुत मेहनत लगी है.
जेम्स अर्स्किन ने बताया कि वो भी क्रिकेट खेलते थे. उन्हें क्रिकेट का बहुत शौक है. उन्होंने ‘अली’ जैसी कई स्पोर्ट्स फिल्में देखीं है, और उन्हें यही से आइडिया आया कि सचिन पर भी ऐसी एक फिल्म बननी चाहिए. वो हमारे रियल हीरो हैं. स्पोर्ट्स में उनसे बड़ा कोई नहीं. उनकी कहानी कई लोगों और जनरेशन के लिए प्रेरणा है.
सचिन को इसके लिए राजी करना आसान नहीं
उन्होंने बताया कि 2012 में हमने पहली बार बात की. सचिन से मुलाकात करने में ही 6 से 8 महीने लग गए थे. इसके बाद उन्हें मनाने में समय लगा. सचिन ने कहा कि वो एक स्पोर्ट्समैन है. एक्टिंग उनसे नही होगी. उनकी इस बात पर जेम्स अर्स्किन उनसे कहा कि, हम नहीं चाहते कि आप एक्टिंग करें. हम कुछ वक्त उनको फॉलो करेंगे और कुछ खास मोमेंट्स शूट करेंगे. लेकिन एक्टिंग नहीं होगी. आप जिस सिचुएशन में जैसे होंगे, हमें वैसे ही कैमरे में लेना है. इसके बाद साढ़े तीन साल तक कैमरे के साथ उनको हर जगह फॉलो किया गया. उन्होनें बताया कि सबसे ज्यादा समय सबसे ज्यादा वक्त एडिटिंग में लगा, तकरीबन तीन साल.
मूवी में बहुत कम है फिक्शन
उन्होंने बताया कि जब हमने फिल्म की शूटिंग शुरु की थी तब तक कोई भी बायोपिक नहीं आई थी. ना भाग मिल्खा भाग, ना मैरीकॉम. इस फिल्म में फिक्शन बहुत कम है. उनका कहना है कि सचिन को सब जानते है इसलिए एस मूवी में हमनें कुछ अलग एंगल लिया है. जो जैसा था सब कुछ वैसा ही. ड्रामेटाइज नहीं किया.
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लेकिन उन्होंने बताया कि एक फैन होने के नाते मुझे सचिन की कहानी सचिन से ही सुननी है. उन्हें लगता है कि हर फैन यही सोचता होगा. उनकी कहानी हर कोई उन्हीं से सुनना चाहता है. सचिन ने सभी बातें खुल कर की हैं. उसके बाद सभी ने साथ मिलकर तय किया कि फिल्म में क्या लाना है क्या नहीं. उन्होंने बताया कि सचिन के साथ कोई वैचारिक मतभेद तो नहीं हुए. लेकिन जब भी ऐसा कुछ होता था तो हम बात करते थे.