धूप से बचाव नहीं करते सनस्क्रीन, अत्यधिक इस्तेमाल से हो सकती है बीमारियाँ!

धूप से बचाव के लिए जो सनस्क्रीन उपयोग किया जाता है वह कपड़ों और धूप से बचाव के अन्य तरीकों की तुलना में कम प्रभावी होता है। यही नहीं सन स्क्रीन के अत्यधिक उपयोग से त्वचा के कैंसर के मामले भी ज्यादा सामने आ रहे हैं। यह शोध जर्नल कैंसर्स में प्रकाशित हुआ है। कनाडा के विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॅा.इवान के अनुसार ज्यादातर लोग पर्याप्त सनस्क्रीन नहीं लगाते हैं।

धूप से बचाव के लिए जो सनस्क्रीन उपयोग किया जाता है, वह कपड़ों और धूप से बचाव के अन्य तरीकों की तुलना में कम प्रभावी होता है। यही नहीं सन स्क्रीन के अत्यधिक उपयोग से त्वचा के कैंसर के मामले भी ज्यादा सामने आ रहे हैं। यह शोध जर्नल कैंसर्स में प्रकाशित हुआ है। कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॅा.इवान लिटविनोव के अनुसार ज्यादातर लोग पर्याप्त सनस्क्रीन नहीं लगाते हैं।

सुबह सनस्क्रीन लगाने के बाद घंटों तक धूप में रहते हैं। उन्हें लगता है कि उन्हें सुरक्षा मिल रही है लेकिन ऐसा नहीं है। शोध के दूसरे हिस्से के लिए उन लोगों को शामिल किया गया, जो ज्यादा सनस्क्रीन का उपयोग करते थे। इसके लिए दो वर्गों समूह तैयार किए गए। स्कोटिया और प्रिंस एडवर्ड द्वीप में रहने वाले लोगों को शामिल किया गया, जो धूप से बचाव के प्रति अति जागरूक हैं और सनस्क्रीन का ज्यादा उपयोग करते हैं।

वहीं दूसरी ओर यूके बायोबैंक से उन लोगों के डाटा को शामिल किया गया, जिन्हें त्वचा का कैंसर या मेलोनेमा से पीड़ित थे। हाल ही में सामने आई एक स्टडी ने सबको चौंका कर रख दिया है। इस स्टडी में कहा गया है कि सनस्क्रीन में बेंजीन पाया जाता है। ये एक तरह का टाक्सिन है, जो कैंसर का कारण बन सकता है। अब सवाल उठता है कि क्या सनस्क्रीन लगाने से कैंसर हो सकता है? टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ सनस्क्रीन में बेंजीन ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, जो चिंता का विषय है। बेंजीन कैंसर पैदा करने वाला एक केमिकल है। दो गुना बढ़ गया त्वचा कैंसर का जोखिम लिट्विनोव ने कहा कि शोध में पाया गया कि जो अत्यधिक रूप से सनस्क्रीन का उपयोग कर रहे थे, उनमें त्वचा कैंसर के विकास के दो गुना से अधिक जोखिम था।

बजार से प्रेरित उत्पाद पर वैश्विक स्तर पर निर्णय लेना चाहिए उन्होंने कहा, धूप से बचाव और त्वचा कैंसर की रोकथाम में ज्ञान और अभ्यास के अंतर को इस सनस्क्रीन विरोधाभास और दुनिया भर के समुदायों के मानदंडों पर विचार करना चाहिए। अध्ययन के अनुसार, सनस्क्रीन का उपयोग बढ़ रहा है, लेकिन मेलेनोमा और त्वचा कैंसर की दर भी बढ़ रही है, जिसे शोधकर्ता “सनस्क्रीन विरोधाभास” कहते हैं।

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