बिहार में अब तक का सबसे बड़ा सियासी भूचाल, जाने पूरा मामला

बिहार की राजनीति में हाल ही में इतना बड़ा फेरबदल बदल हुआ है जिसके बारे में कांग्रेस सपने में भी नहीं सोच सकती थी. नीतीश कुमार ने भ्रष्ट लालू और कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी से हाथ मिला साबित कर दिया है कि वो भ्रष्टाचार के सख्त खिलाफ है और कांग्रेस से अच्छी राजनीति करना जानते है. नीतीश ने हाल ही में अली अनवर और शरद यादव जैसे आस्तीन के सांपों को सही से सबक सिखाया था !

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अब जो बड़ी खबर आ रही है उसने बिहार में भूचाल ला दिया है.जनता दल यूनाइटेड में बागियों के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी है.इसी क्रम में सोमवार को जेडीयू ने पूर्व मंत्री रमई राम और पूर्व सांसद अर्जुन राय समेत 21 बागियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.शायद अगली बारी शरद यादव की हो सकती है.
JDU ने शरद यादव को राज्यसभा में पार्टी संसदीय दल के नेता के पद से हटा दिया था,अब शरद यादव ने दिखाया अपना असली रंग !!
मौजूदा खबर अनुसार शरद यादव के करीबी अरुण श्रीवास्तव ने दावा किया है कि शरद यादव के साथ देश के 14 राज्यों के अध्यक्ष हैं, साथ ही पार्टी के दो राज्यसभा सांसद भी. इतना ही नहीं पार्टी के ऑफिस बैरियर के लोग भी शरद यादव के साथ हैं और शरद जल्द ही चुनाव आयोग में दावा ठोककर अपने ग्रुप को असली जेडीयू घोषित करने की मुहिम में उतर सकते हैं.
JDU के दो फाड़ के बाद क्या है माहौल !!
बता दें कि जेडीयू में शरद यादव के पक्ष में 14 राज्यों के अध्यक्षों ने पत्र के माध्यम से निष्ठा जताई है. उनके साथ अली अनवर और एक अन्य राज्यसभा सांसद भी हैं. वहीं, पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार को केवल बिहार इकाई का समर्थन हासिल है. नीतीश कुमार के पास अभी भी है बहुमत.
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JDU से निकाले जाने के बाद बोले शरद- ‘कार्रवाई से नहीं डरता, सड़क पर लडूंगा’ !!
सूत्रों से मिली खबर के अनुसार बता दें कि शरद यादव ने दावा किया है कि नीतीश कुमार जो कुछ कर रहें है वो सरासर गलत है, उन्होंने ना केवल पार्टी को धोखा दिया है बल्कि बिहार की जनता को भी भरोसा तोडा है. इतना ही नहीं शरद ने कहा कि नीतीश को जेडीयू पर कब्जा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, जिसकी हमेशा से राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति रही है और असली JDU को बचाने के लिए अगर मुझे सड़क पर भी उतरना पड़ा तो मैं वो भी करूँगा क्योंकि मैं किसी भी कारवाई से नहीं डरता हूँ.
बताते चलें नीतीश कुमार ने शुक्रवार को यह कहते हुए यादव से सुलह की गुंजाइश को परोक्ष रूप से खत्म कर दिया था कि वह कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं क्योंकि बीजेपी के साथ गठबंधन का फैसला पूरी पार्टी का था. अब देखना ये होगा कि शरद यादव ने जो भी बोला है क्या वो उसे करेंगे या फिर बिहार की राजनीति में कोई बहुत बड़ा उलटफेर होगा.





