90% हीरा कारोबार में है इस समाज का दबदबा, मेहुल चोकसी है ‘काका’ तो नीरव मोदी ‘भाई’
70 के दशक में आये थे बेल्जियम
पालनपुर का जैन समाज 60 और 70 के दशक में बेल्जियम के एंटवर्प में शहर में जाकर बसने लगा था। यह लोग वहां पर सस्ता हीरे का पत्थर खरीदते थे। उसके बाद इन पत्थरों को सूरत में किसी रिश्तेदार के पास पॉलिशिंग के लिए भेजा जाता था।
पॉलिश होने के बाद इन हीरों को फिर से एंटवर्प शहर में काफी कम प्रॉफिट पर बेचा जाता था। कारोबार के बढ़ने के बाद इन व्यापारियों ने अपने सगे संबंधी और रिश्तेदारों को भी वहां पर बुलाने लगे, जिसके बाद पूरा का पूरा कारोबार इन गुजरातियों के हाथ में ही चला गया।
बच्चे पढ़ते हैं इस स्कूल में
इस समाज के ज्यादातर बच्चे मुंबई के न्यू इरा या फिर मानव मंदिर स्कूल में पढ़ते हैं। लड़कों के लिए 12वीं के बाद पढ़ने पर जोर नहीं दिया जाता है। बी.कॉम करना एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। अगर कोई लड़का इससे ज्यादा पढ़ाई करता है तो फिर उसको समाज की वेबसाइट पालनपुरऑनलाइन पर भी अपलोड किया जाता है।