सिंहस्थ के लिए इस साल 6000 करोड़ के काम, उज्जैन की कनेक्टिविटी और शिप्रा पर फोकस, क्या होगा?

तीन साल बाद उज्जैन में लगने वाले सिंहस्थ मेले के लिए तैयारियां जोरों पर हैं। 19 से ज्यादा विभागों को अलग-अलग निर्माणों की जिम्मेदारी दी गई है। इस साल छह हजार करोड़ के काम होना है। पिछले साल प्रदेश सरकार ने बजट में सिंहस्थ मद में रखे पांच करोड़ रुपये इन कामों के लिए आवंटित किए हैं। अब उज्जैन में युद्ध स्तर पर काम होंगे, क्योकि तीन साल में निर्माणाधीन प्रोजेक्टों को पूरा भी करना है। सरकार का फोकस उज्जैन की कनेक्टिविटी और शिप्रा नदी के शुद्धिकरण पर है। अफसरों का अनुमान है कि सिंहस्थ मेले में पंद्रह करोड़ के करीब श्रद्धालु आ सकते हैं, उसके हिसाब से ही घाटों के विस्तार और मेला क्षेत्र के दायरे के प्रोजेक्ट डिजाइन किए गए हैं।

मेला क्षेत्र का दायरा बढ़ाया
इस बार सिंहस्थ में मेला क्षेत्र का दायरा भी बढ़ाया है। मेला क्षेत्र में अस्थाई के बजाए स्थाई निर्माण किया जाएगा। अब सिंहस्थ मेला 3360.6 हेक्टेयर क्षेत्र का रहेगा। विकास योजना में सिंहस्थ मेला क्षेत्र के लिए 2344.11 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल किया जाएगा। मेला क्षेत्र में स्थाई निर्माणों के काम उज्जैन विकास प्राधिकरण करेगा और इसके लिए लैंड पुलिंग योजना के तहत जमीनें ली जाएगी। जलापूर्ति, सीवरेज लाइन के अलावा शौचालय, उद्यान भी बनाए जाएंगे। मेला क्षेत्र के अखाड़ों आश्रमों में भी सुविधाएं बढ़ाई जाएगी। पिछले बजट में आवंटित 505 करोड़ रुपये से ज्यादा के काम उज्जैन में हो चुके हैं।

इंदौर-उज्जैन सिक्सलेन का निर्माण शुरू
उज्जैन के सिंहस्थ मेले में सबसे ज्यादा लोग इंदौर होकर जाएंगे। ट्रैफिक जाम की स्थिति न बने, इसके लिए इंदौर उज्जैन रोड़ को सिक्स लेन किया जा रहा है। इसका काम शुरू हो चुका है। इस प्रोजेक्ट पर 2312 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। फिलहाल इंदौर से उज्जैन के बीच ब्रिजों का चौड़ीकरण किया जा रहा है। दस से अधिक पुल-पुलिया के अलावा तीन बड़े ब्रिज भी बनेंगे। इसके अलावा इंदौर के हातोद क्षेत्र से चंद्रवतीगंज, अजनोद होते हुए उज्जैन तक दो लेन सड़क बनेगी। यह सड़क उज्जैन के चिंतामण गणेश मंदिर वाले इलाके से जुड़ेगी। देवास-उज्जैन रोड़ को भी फोरलेन किया जा चुका है। इंदौर से उज्जैन तक स्पीड ट्रेन भी चलाई जाएगी। इंदौर से उज्जैन के बीच मेट्रो ट्रेन चलाने की घोषणा भी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी।लेकिन, सिंहस्थ से पहले इस प्रोजेक्ट का जमीन पर संभव नहीं लग रहा है, क्योकि छह लेन सड़क का निर्माण भी उसी रुट पर हो रहा है। वहीं, उज्जैन के आंतरिक मार्ग और आउटर रिंग रोड पर नए ब्रिज बनाए जा रहे हैं।

सिंहस्थ के लिए कान्ह नदी होगी बाइपास
सिंहस्थ मेले के दौरान लोग शिप्रा नदी में डूबकी लगाते हैं। शिप्रा नदी को इंदौर से आने वाली कान्ह नदी दूषित करती है। पिछले सिंहस्थ मेले में नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना के तहत शिप्रा को प्रवाहमान बनाया गया था। इस बार कान्ह नदी का पानी शिप्रा नदी में जाने से रोकने के लिए 30 किलोमीटर तक कान्ह नदी को बाइपास किया जाएगा। इसके लिए छह किलोमीटर लंबाई में सुरंग बनाई जा रही है। इसके अलावा खुली डक्ट भी रहेगी। सेवरखेड़ी से सिलारखेड़ी तक पूरी नदी के पानी को बाइपास कर गंभीर नदी में छोड़ा जाएगा। इस प्रोजेक्ट का भूमिपूजन मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 13 जनवरी को किया है। इसका काम भी शुरू हो चुका है। सिंहस्थ से पहले यह योजना पूरी हो जाएगी।

उज्जैन सिंहस्थ मेला-फेक्ट फाइल
इस साल छह हजार करोड़ रुपये इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च होंगे
15 करोड़ से ज्यादा लोगों के सिंहस्थ मेले में आने का अनुमान
2300 करोड़ सड़कों के निर्माण पर खर्च होंगे, ट्रैफिक व्यवस्था सुधारी जाएगी
पिछले बजट में 505 करोड़ आवंटित किए गए थे, इससे सिंहस्थ के काम शुरू हुए
सिंहस्थ मेला क्षेत्र 3361.6 हेक्टेयर में फैलेगा
बिजली पानी सड़क का उज्जैन विकास प्राधिकरण करेगा
2344.11 हेक्टेयर में स्थाई निर्माण कार्य किए जाएंगे
लैंड पुलिंग योजना के तहत भूमि लेकर निर्माण कार्य होंगे
रेलवे के लिए कामों के लिए स्पेशल सेल बनाई गई है, रेलवे क्रासिंग पर ब्रिज बनाया गया है
अखाड़ों के लिए राशि दी जाएगी

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