3700 करोड़ की ठगी की जांच तेज, 5 ठिकानों पर हुई छापेमारी,हुए चौंकाने वाले खुलासे

लाइक के बदले करीब सात लाख लोगों से करीब 3700 करोड़ रुपये की ठगी की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. अभी सबसे बड़ा सवाल है कि ठगी के मास्टरमाइंड अनुभव मित्तल ने जाल बिछाकर जो सैंतीस सौ करोड़ रुपये जुटाए उन्हें कहां ठिकाने लगाया. लगातार अनुभव मित्तल के ठिकानों पर छापेमारी हो रही है. बड़ा सवाल ये भी है कि दिल्ली के पास कई महीने से लोगों की आंखों में धूल झोंका जाता रहा लेकिन किसी एजेंसी को इसकी भनक क्यों नहीं लगी.

अनुभव मित्तल

 

रविवार को प्रवर्तन निदेशालय ने भी केस दर्ज कर लिया और ठगी के आरोपी अनुभव मित्तल के नोएडा, गाजियाबाद और कानपुर में पांच ठिकानों पर छापेमारी की.

एबीपी न्यूज को जानकारी मिली है कि प्रवर्तन निदेशालय को अनुभव मित्तल के ठिकानों से करोड़ों की जायदाद के कागजात मिले हैं. अब प्रवर्तन निदेशालय अनुभव की संपत्ति जब्त करने की तैयारी कर रहा है ताकि उन लोगों का पैसा निकाला जा सकते जिनकी गाढ़ी कमाई पर डाका पड़ गया है. अब उन बैंकों से भी संपर्क किया जा रहा है जिनके जरिए अनुभव अपना ये गोरखधंधा चला रहा था। अभी तक की जांच में ये भी खुलासा हुआ है कि नोटबंदी के दौरान अनुभव मित्तल की कंपनी ने दो करोड़ रुपये कैश जमा करवाए. ये पैसा गाजियाबाद के एक्सिस बैंक की राजनगर शाखा में जमा कराया गया। ये भी पता चला है कि गाजियाबाद की कुछ कंपनियों के जरिए भी अनुभव के पास आए.

अब इनकम टैक्स विभाग ये जांच कर रहा है कि दूसरी कंपनियों ने अनुभव की कंपनियों को पैसा क्यों भेजा गया जबकि इनके बीच कारोबार के कोई सबूत नहीं मिले हैं. फर्जीवाड़े के इस पूरे खेल का खुलासा चार दिन पहले हुआ था जब यूपी एसटीएफ ने अब्लेज इंफो सॉल्यूशंस नाम की कंपनी के मालिक अनुभव मित्तल को गिरफ्तार किया था. कंपनी की करतूत सामने आने के बाद उन लोगों के होश उड़ गए जो सिर्फ लाइक के जरिए पैसे कमाने की लालच में फंस गए थे.

अभी तक कुल सोलह सौ लोग पुलिस को अपनी शिकायत दे चुके हैं. जांच में ये भी सामने आया है कि ठगी का ये जाल सिर्फ देश में ही नहीं विदेश में भी फैला था, मस्कट और नाइजीरिया के भी कई लोगों ने भी जल्दी मुनाफे के झांसे में आकर कंपनी में पैसा लगाया था.

अब फर्जीवाड़े के इस जाल का मास्टरमाइंड अनुभव मित्तल गिरफ्त में हैं, मित्तल का वो खाता तो फ्रिज कर दिया गया है जिसमें पांच सौ बीस करोड़ रुपये जमा हैं. अब सवाल ये है कि बाकी के 3200 करोड़ रुपये का क्या हुआ?

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