कोरोना काल में 30 फीसदी घटे हार्टअटैक के मामले…

कोरोना काल में हार्टअटैक के मामले कानपुर समेत पूरी दुनिया में 30 फीसदी घट गए। इसके पीछे लाइफ स्टाइल का पटरी पर लौटना, प्रदूषण कम होना, खान-पान में सुधार, तनाव का कम होना जैसे प्रमुख वजहें हैं।

विश्व भर के 10 हजार हार्ट रोग विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों ने ‘एशिया पेसेफिक वैस्कुलर इंटरवेंशन सोसाइटी’ के संयोजन में हुए वेबिनार में, कोविड-19 काल और उससे पूर्व समय में होने वाले हार्ट अटैक के तुलानात्मक अध्ययन पर चर्चा की है। तीन दिनों तक यह वेबिनार चला। इसमें लक्ष्मीपत सिंघानिया इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी के विशेषज्ञों ने शिरकत की है। इस समय कानपुर व आस-पास जिलों से आ रहे हार्ट अटैक रोगियों के आंकड़ों की जानकारी दी।

चिकित्सा क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार विजेता यूएसए के प्रो. फरीद मुराद ने भी इस चर्चा में भाग लिया। संचालन कर रहे अपोलो अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. एनएन खन्ना के मुताबिक चर्चा का मुख्य विषय था कि हार्ट अटैक के रोगी कम हो गए या अस्पतालों में कम पहुंच रहे हैं? लेकिन सभी विशेषज्ञ और वैज्ञानिक इस राय पर सहमत थे कि हार्ट अटैक के ट्रैगर माने जाने वाले कई रिस्क फैक्टर मसलन बाहर का खान-पान, वायु और ध्वनि प्रदूषण जैसी चीजें कोरोना काल में बहुत कम हुई जिससे जो लोग पहले से ही हार्ट अटैक के रिस्क फैक्टर में थे, उन्हें रिलैक्स मिला है। यानी हार्ट अटैक से बच गए।

कोरोना से मौतों पर चर्चा: कोरोना से होने वाली मौतों पर भी विशेषज्ञों ने चर्चा की है। प्रो. एनएन खन्ना के मुताबिक अभी तक सिर्फ एक्यूट रेस्पाइटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम की तरफ ही ध्यान जाता था मगर कोरोना संक्रमण से खून के थक्के फेफड़े में पहुंच सकते हैं, दिल की धमनियों को चोक कर सकते हैं, उससे अचानक मौत हो सकती है। ऐसे विश्व के बड़ी संख्या में मौतें रिपोर्ट हुई हैं। प्रो. खन्ना के मुताबिक एम्बोलिज्म भी कोरोना मरीजों की मौत का एक प्रमुख कारण है। 


इमरजेंसी की रिपोर्ट चौंकाने वाली
इमरजेंसी की रिपोर्ट काफी चौंकाने वाली है। लाकडाउन हार्ट अटैक रोगियों के लिए बड़ा फायदेमंद साबित हुआ है। अब  इस विषय पर विस्तार से पता लगाने की कोशिश हो रही है कि कौन- कौन रिस्क फैक्टर हैं जो कोरोना काल में कम हुए हैं? जिसका सीधा असर साइलेंट हार्ट अटैक यानी बगैर लक्षणों वाले हार्ट अटैक पर हुआ है। संस्थान में एक टीम गठित की गई है जो वेबिनार से निकले बिंदुओं पर अध्ययन कर रही है। – प्रो. विनय कृष्णा सोसाइटी के अध्यक्ष व कार्डियोलॉजी के निदेशक


देश ही नहीं विश्व में भी कम हार्ट अटैक हुए
कोविड काल में हार्ट अटैक के मामले सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी कम आए हैं।  वैसे अभी विस्तार से इस और अध्ययन करने पर सहमति बनी है। मगर कोविड-19 में यह बात साबित हो रही है कि हार्ट अटैक के जो भी ज्ञात रिस्क फैक्टर हैं उनमें कुछ बहुत घातक हैं। लोग उस खतरनाक रिस्क फैक्टर से बचे, और अब उससे बचाव करके जीवन बचा सकते हैं। – प्रो. एनएन खन्ना अपोलो ग्रुप के सलाहकार और अस्पताल में हृदयरोग विभागाध्यक्ष   

कुछ तथ्य:
28.01 प्रति मौतें कुल मौतों में हार्ट अटैक की वजह से
45-50 प्रतिशत मामलों के लिए बगैर लक्षण वाले दिल के दौरे हर साल पड़ते हैं
01 लाख युवाओं में 433 को हार्ट अटैक से मौत का खतरा

इस वजह से घटा हार्ट अटैक
1-वायु- ध्वनि प्रदूषण कम हो गया
2-भरपूर नींद ले रहे, आराम अधिक
3-घर में तनाव कम, आपाधापी से दूर
4-बाहर के खाने पर लगी रोक
5-स्मोकिंग कम, शराब की डोज घटी


क्या है हार्ट अटैक
हार्ट अटैक से तात्पर्य दिल में खून की आपूर्ति न होने पर दिल की मांसपेशियों का खराब होना है। धमनियों और नसों में खून के थक्कों का जम जाना है। हार्ट अटैक का इलाज सही समय पर कदम उठाने के साथ संभव है, लेकिन इससे पीड़ित व्यक्ति को समय रहते अस्पताल न पहुंचाया जाए तो यह उसकी मौत का कारण भी बन सकता है।

पहचानें हार्ट अटैक:
अचानक छाती में दर्द, (आमतौर पर बाएं हाथ या गर्दन के बाएं ओर), सांस की तकलीफ, मिचली, उल्टी, घबराहट, पसीना और तनाव, सांस की कमी, थकान, अपच और कमजोरी मन अशांत लगे या चक्कर आए, पसीने से तरबतर होना, बेचैनी महसूस हो, खांसी के दौरे, ज़ोर-ज़ोर से सांस लेना हालांकि दिल के दौरे में सीने में अक्सर ज़ोर का दर्द उठता है, लेकिन कुछ लोगों को केवल हल्के दर्द की शिकायत रहती है, कुछ मामलों में सीने में दर्द नहीं भी होता है, ख़ासकर महिलाओं, बुजुर्गों और डायबिटीज वाले लोगों में दर्द का एहसास नहीं होता।

महत्वपूर्ण जोखिम जिससे हार्ट अटैक:
पूर्व के हृदय रोग, बड़ी आयु, तम्बाकू, धूम्रपान,  कुछ लिपिड के उच्च रक्त दबाव (ट्राइग्लिसराइड, कम घनत्व लेपोप्रोटीन) और उच्च घनत्व के लेपोप्रोटीन (एचडीएल) के निम्न स्तर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, गुर्दे की पुरानी बीमारी, हृदय की विफलता, अत्यधिक शराब की खपत, ड्रग्स (कोकीन और मेथमपेटामाइन) के दुरुपयोग है।

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