2019 विश्व कप: क्रिकेट को कैसे बदल रहा है पैसा

भारत-पाकिस्तान क्रिकेट फैन
क्रिकेट वर्ल्ड कप को अरबों लोग देखते हैं, जिसकी वजह से कई कंपनियां भी इस टूर्नामेंट में दिलचस्पी लेती हैं और अपनी टारगेट ऑडियंस तक पहुंचने के लिए अरबों डॉलर तक खर्च करने को तैयार रहती हैं और भारत इन सबका एक अहम हिस्सा है, जहां क्रिकेट की सबसे अमीर संस्था – बीसीसीआई ना सिर्फ इस खेल को लोकप्रिय बना रही है, बल्कि इसे एक ऐसे बिजनेस का रूप भी दे रही है जिसमें ढेर सारा मुनाफा है। तो आइए आपको क्रिकेट के पीछे के बिजनेस के बारे में बताते हैं…

मीडिया राइट्स से स्पॉन्सरशिप डील्स तक

भारत बनाम पाकिस्तान
कोई भी चैनल ऐसे ही क्रिकेट नहीं दिखा सकता। इसके लिए उसे प्रसारण का अधिकार यानी राइट्स खरीदने होते हैं। क्रिकेट में पैसा बनाने का ये पहला पड़ाव है। ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल यानी बीएआरसी इंडिया के मुताबिक पिछले साल 70 करोड़ से ज्यादा लोगों ने टीवी पर क्रिकेट देखा और इस साल तो विश्व कप है, तो जाहिर है कि ये आंकड़ा और बढ़ा होगा।

डिजनी के स्वामित्व वाले स्टार इंडिया ने 2015 में करीब दो अरब डॉलर का समझौता कर आईसीसी टूर्नामेंट को 2023 तक प्रसारित करने का अधिकार खरीद लिया था।

इसके बाद कंपनी ने 2022 तक आईपीएल ब्रॉडकास्ट करने का अधिकार भी खरीद लिया था, इसके लिए उसने ढाई अरब डॉलर का सौदा किया और पिछले ही साल स्टार इंडिया ने पांच साल यानी 2023 तक के लिए भारतीय क्रिकेट के वर्ल्डवाइड राइट्स भी खरीद लिए। इसके लिए उसने 94.4 करोड़ डॉलर की रकम अदा की।

तो स्टार इंडिया इकलौती कंपनी है, जिसने सारे टेलिकास्ट अधिकार खरीदकर कमाई को पहले के मुकाबले 59 फीसदी बढ़ा लिया है।

कंपनी अब क्रिकेट की डिजिटल स्ट्रीमिंग भी करने लगी है। कंपनी का ये एक अहम कदम है, क्योंकि भारत में कई सारे लोगों के पास स्मार्टफोन हैं और लोग अपने फोन पर मैच देखना पसंद कर रहे हैं।

भारत बनाम पाकिस्तान

डफ एंड फेल्प के मुताबिक पिछले साल आईपीएल की ब्रांड वेल्यू 6.3 अरब डॉलर रही और अब वर्ल्ड कप इससे आगे निकलने की कोशिश में है। इसका एक नमूना ये है रहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच 16 जून को हुए मुक़ाबले को कंपनी के डिजिटल प्लेटफॉर्म हॉटस्टार पर एक वक्त में 1.2 करोड़ से ज्यादा लोगों ने देखा।

इस निवेश के बदले में जो मिलता है, वो मुनाफे का दूसरा पड़ाव है और ये पैसा आता है विज्ञापनों की बिक्री से। विज्ञापन खरीददारों के मुताबिक वर्ल्ड कप के लोकप्रिय मैचों के दौरान विज्ञापनों के रेट इस कदर बढ़ जाते हैं कि सिर्फ 10 सेकेंड के स्पॉट के लिए 25 लाख रुपए तक देने होते हैं। इसका मतलब है कि एक मैच से कम से कम सौ करोड़ की कमाई।

और पैसों का जो तीसरा जरिया है, वो है स्पॉन्सरशिप डिल्स। यहां से पिक्चर में आती है अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बॉडी आईसीसी।

क्या है ICC का रोल?

icc world cup

वर्ल्ड कप में कमर्शियल पार्टनर के तौर पर उसके पास 20 से ज्यादा ब्रांड्स हैं और इनमें से लगभग 30 फीसदी भारत के ही हैं, जिनमें एमआरएफ टायर्स, शराब की कंपनियां – बीरा91 और रॉयल स्टैग और स्पोर्ट्स फेंटेसी बिजनेस कंपनी- ड्रीम 11 शामिल हैं।

यहां तक कि अमरीका की एक कंपनी, उबर भी इनमें शामिल है। ये कंपनियां भारत में अपना कारोबार बढ़ाने की कोशिश कर रही है। अमूल और केंट आरओ जैसी कई और कंपनियां भी अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच बनाने के लिए ऐसी ही रणनीति आजमा रही हैं। ये कंपनियां अफगानिस्तान और श्रीलंका की टीमों की स्पॉन्सर भी हैं।

टिकटों की बिक्री

आईपीएल 2019

क्रिकेट में पैसा कमाने का चौथा जरिया है- स्टेडियम की टिकटों की बिक्री। असल में पैसा कमाने का जरिया यही है। बड़े मुकाबलों या कुछ अहम मैचों के दौरान टिकटों की मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।

ब्रॉडकास्ट और स्पॉन्सर से आया मुनाफा आईसीसी के खाते में जाता है, वहीं पब्लिकेश्न्स और टिकट से आया पैसा इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड को मिलता है और जो पैसा स्टेडियम के अंदर के खाने-पीने की चीजों और कार पार्किंग से बनता है वो उन्हें जाता है, जहां मैच हो रहा है।

मिसाल के तौर पर – 16 जून को जिस ओल्ड ट्रैफ़र्ड मैदान पर भारत-पाकिस्तान का मैच हुआ, वहां 26,000 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। बताया जाता है कि ये सारी सीटें पहले 48 घंटे में ही बिक गई थीं। एक दूसरी खबर के मुताबिक आखिरी मिनट के खरीददारों के लिए टिकटों की कीमत 6000 डॉलर रखी गई थी।

क्रिकेट स्टेडियम
क्रिकेट लोकप्रिय होता जा रहा है, लेकिन इसकी कई तरह से आलोचना भी होती है. जिनमें से एक है कि इस पैसे का बड़ा हिस्सा पुरुष टीम के पास जाता है।

वहीं महिला क्रिकेट टीम इस मामले में काफी पीछे है और कंपनियां उनमें पैसा लगाने में कम दिलचस्पी लेती हैं। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान अंजुम चोपड़ा मानती हैं अब धीरे-धीरे इसमें बदलाव आ रहा है।

बीबीसी के वर्क लाइफ इंडिया कार्यक्रम के दौरान अंजुम चोपड़ा ने कहा, ‘भारत में ये बदल रहा है। महिला क्रिकेट टीम 2017 का वर्ल्ड कप हार गई था, फिर भी उनके पास कमर्शियल डील्स के कई सारे कॉन्ट्रेक्ट हैं और स्पॉन्सर भी कई सारे हैं। मैं नहीं कहूंगी की भेदभाव होता है. लेकिन ये है कि खेल को बेहतर किए जाने की ज़रूरत है’।

‘अगर भारत की टीम वैश्विक स्तर पर ज्यादा जीत हासिल करने लगेगी, तो खुद-ब-खुद ध्यान उनकी तरफ जाएगा और उनके पास पैसा भी आएगा तो ये नतीजों पर निर्भर करता है’।

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