14 को तय जायेगा मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग होगी या नहीं

ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के कार्बन डेटिंग पर सुनवाई पूरी हो गई

सुरेश गांधी

वाराणसी : ज्ञानवापी मामले में अदालत में मंगलवार को मिले शिवलिंग के कार्बन डेटिंग पर सुनवाई पूरी हो गई है। इस पर अब फैसला 14 अक्टूबर को आ सकता है। जबकि शिवलिंग की पूजा-पाठ की मांग के अधिकार मामले पर 12 अक्टूबर को सुनवाई होगी। इस केस की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट महेंद्र कुमार पांडेय की कोर्ट में हुई। बता दें, वाराणसी कोर्ट में आज दो अहम मामलों पर सुनवाई हुई। पहला मामला श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन मामले में कथित शिवलिंग के कार्बन डेटिंग को लेकर दी गई याचिका पर हुई। इसमें मुस्लिम पक्ष ने कार्बन डेटिंग की याचिका को खारिज करने के लिए अपने तर्क दिए। वहीं दूसरी ओर फास्ट ट्रैक कोर्ट के सिविल जज महेंद्र कुमार पांडे की अदालत में गैर हिंदुओं के ज्ञानवापी परिसर में प्रवेश पर रोक लगाने को लेकर सुनवाई हुई। इस पर अगली तारीख 12 अक्टूबर दे दी गई, अब इस मामले पर बुधवार को भी सुनवाई होगी।

श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन मामले में चार वादी महिलाओं की तरफ से ज्ञानवापी परिसर के वजूद खाने में मिले कथित शिवलिंग के कार्बन डेटिंग की याचिका दी गई थी। इस पर जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने मुस्लिम पक्ष से जवाब मांगा था। मुस्लिम पक्ष की ओर से अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की और से कार्बन डेटिंग का पुरजोर विरोध किया गया। विरोध करते हुए मसाजिद कमिटी की ओर से कहा गया कि कथित शिवलिंग के वैज्ञानिक जांच की कोई आवश्यकता नहीं है। क्योंकि हिंदू पक्ष ने अपने केस में ज्ञानवापी में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष देवी देवताओं के पूजा की मांग की है, फिर शिवलिंग के जांच की मांग क्यों कर रहे हैं। अब इस मामले पर 14 अक्टूबर को जज अजय विश्वेश फैसला सुना सकते हैं।

सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतजामिया ने अपना पक्ष रखा फिर वादिनी संख्या 2 से 5 तक के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने प्रति उत्तर में हिन्दू पक्ष की दलीलें पेश की। जबकि वादिनी संख्या एक के अधिवक्ता मान बहादुर सिंह ने कोई भी दलील देने से इनकार कर दिया तब अदालत ने आदेश के लिए 14 अक्तूबर की तिथि नियत कर दी। मंदिर पक्ष की वादी मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, सीता साहू (वादी संख्या दो से पांच) के वकील हरिशंकर जैन व विष्णु शंकर जैन ने अदालत को बताया कि उन्होंने कार्बन डेटिंग की मांग शिवलिंग के लिए नहीं, बल्कि आसपास के क्षेत्र के लिए की है। शिवलिंग के आयु निर्धारण के लिए ऐसी वैज्ञानिक तकनीक अपनाने की मांगी की है जिससे उसे किसी तरह का नुकसान न पहुंचे। क्योंकि शिवलिंग का मामला मूलवाद से संबंधित हैं। उन्होंने अदालत के सामने मूलवाद के बिंदुओं को रखते हुए स्पष्ट किया कि इसमें ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी के साथ दृश्य और अदृश्य देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन की मांग की गई है। एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान 16 मई को मिला शिवलिंग पहले अदृश्य था। पहले मामले में राखी सिंह समेत पांच महिलाओं की ओर से जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन समेत अन्य मांगों को लेकर दाखिल मुकदमे की सुनवाई होगी। इसमें ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के कार्बन डेटिंग की मांग पर अदालत में सुनवाई पूरी हो गई।

यहां जिक्र करना जरुरी है कि मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलील में कहा कि वैज्ञानिक जांच में केमिकल के प्रयोग से आकृति का क्षरण सम्भव है कार्बन डेटिंग जीव व जन्तु की होती है पत्थर की नहीं हो सकती। क्योंकि पत्थर कार्बन को एडाप्ट नहीं कर सकता। कहा कि कार्बन डेटिंग वाद की मजबूती व साक्ष्य संकलित करने के लिए कराई जा रही है ऐसे में कार्बन डेटिंग का आवेदन खारिज होने योग्य है। प्रतिउत्तर में हिदू पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु जैन, सुभाष नन्दन चतुर्वेदी व सुधीर त्रिपाठी ने दलील में कहा कि वाद में दृश्य व अदृश्य देवता की बात कही गई है सर्वे के दौरान वजू स्थल स्थित हौज से पानी हटाने पर अदृश्य आकृति दृश्य रूप में दिखी ऐसे में यह पार्ट ऑफ शूट है यानि दावे का हिस्सा है, बरामद आकृति शिवलिंग है या फव्वारा यह वैज्ञानिक जांच से ही स्पष्ट होगा। ऐसे में आकृति को बिना नुकसान पहुंचाए, हिदुओं की आस्था को चोट पहुंचाए बगैर वैज्ञानिक जांच भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के विशेषज्ञ टीम से कराई जाए ताकि यह तय हो सके कि आकृति शिवलिंग है या फव्वारा।

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