हरियाणा में बीजेपी का 75 प्लस सीटों का प्लान, जानें क्यों लग रहा है आसान

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) ने 75 प्लस का नारा दिया है. बीजेपी को उम्मीद है कि 2014 के मुकाबले इस बार 47 सीटों के आंकड़े को 75 सीटों के पार पहुंचाया जा सकता है. 90 सदस्यीय  विधानसभा वाले हरियाणा में  21 अक्टूबर को मतदान होगा और 24 अक्टूबर को नतीजे आएंगे. उधर, बीजेपी के 75 पार के नारे पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा चुटकी लेते हुए कहते हैं कि बीजेपी वालों का क्या है यह तो 110 कहेंगे, 90 में से. इनका क्या कर सकते हैं? जनता तय करेगी, किसको कितनी सीटें मिलेंगी.

पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी ने 2014 में 33.2 प्रतिशत वोटों के साथ 47 सीटें हासिल की थीं. वहीं 2009 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 9.05 प्रतिशत वोट ही मले थे. हरियाणा में बीजेपी को 75 सीटों का लक्ष्य आसान लग रहा है. इसके पीछे विपक्ष में बिखराव मुख्य वजह बताई जा रही.

कांग्रेस में मची है नेताओं में रार

हरियाणा में कांग्रेस का प्रदेश संगठन अंतर्कलह का शिकार है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से लड़ाई के चलते हाल में अशोक तंवर को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर कुमारी शैलजा को संगठन की कमान दी गई. छह वर्षों तक तंवर हरियाणा  के प्रदेश अध्यक्ष रहे. इस दौरान उनका हुड्डा से 36 का आंकड़ा रहा. शीर्ष नेतृत्व कई दफा समझाकर भी दोनों नेताओं के बीच सुलह नहीं करा सका. शह-मात के खेल में आखिरकार हुड्डा तंवर पर भारी पड़े.

अशोक तंवर को प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा. सूत्र बता रहे हैं कि नई प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा के सामने पार्टी को एकजुट रखना चुनौती है. कांग्रेस के अंदरखाने जारी इस कलह के चलते बीजेपी को चुनावी मैदान में लाभ मिल सकता है.

चौटाला परिवार नहीं हो सका एकजुट

हरियाणा में ओम प्रकाश चौटाला और उनके बड़े बेटे अजय चौटाला के शिक्षक भर्ती घोटाले में जाने के बाद पार्टी बिखराव का शिकार हो गई. बिखराव के नतीजे के तौर पर अब चौटाला परिवार में दो पार्टियां बन गई हैं. इनेलो पहले से थी और अब इससे टूटकर जेजपी बन गई है.  ओमप्रकाश के जेल जाने के बाद छोटे बेटे अभय चौटाला ने पार्टी को ज्यादा समय तक एकजुट नहीं रख सके. दरअसल, 2014 में सांसद बने भतीजे दुष्यंत चौटाला धीरे-धीरे शक्ति केंद्र के रूप में उभरने लगे. जिससे परिवार में सियासी टकराव बढ़ता गया. परिवार में झगड़ा 7 अक्टूबर 2018 को सार्वजनिक हुआ था. जब ओम प्रकाश चौटाला के पिता चौधरी देवी लाल की जयंती पर गोहाना में एक कार्यक्रम आयोजित था.

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इस कार्यक्रम में हूटिंग का मामला सामने आया था. पार्टी की आंतरिक जांच में दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला का नाम सामने आने पर उन्हें निष्कासित कर दिया गया था. दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला के बेटे हैं. अजय चौटाला भी शिक्षक भर्ती घोटाले में जेल की हवा खा रहे हैं.

बाद में दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला ने जननायक जनता पार्टी(जेजेपी) का गठन किया. परिवार में सुलह की कोशिशें भी कुछ स्तर से चल रहीं थीं. मगर विफल रहीं. माना जा रहा है कि दो खंडों में पार्टी के बंटने से अब राज्य में मुख्य मुकाबला सत्ताधारी बीजेपी और कांग्रेस के बीच होगा.

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