स्कूली बस्तों का भार की मात्रा निश्चित करने के लिए नए दिशा निर्देश की जरूरत नहीं: HC

पिछले कुछ सालों में बच्चों के स्कूल बैग्स के वजन को लेकर कई बार न्यायालयों में याचिकाएं दायर हुई हैं। कई बार इस संबंध में अलग-अलग दिशानिर्देश भी जारी किये जा चुके हैं। एक बार फिर ऐसी ही एक याचिका बॉम्बे हाइकोर्ट पहुंची, जिसमें बच्चों के स्कूल बैग का वजन कम करने की अपील की गई थी। लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट का कहना है कि हमें नहीं लगता कि स्कूल बैग्स के मामले में किसी नये निर्देश की जरूरत है। बच्चे बेवजह तो भारी बैग्स स्कूल लेकर नहीं जाते हैं। समय के साथ किताबें पहले की तुलना में पतली भी हुई हैं।

हाईकोर्ट ने बताए ये कारण
चीफ जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और जस्टिस एनएम जामदार की बेंच ने इस मामले में कहा, ‘हमारे समय में किताबें काफी मोटी हुआ करती थीं। हमारी किताबें काफी भारी हुआ करती थीं, लेकिन हमें तो कभी कोई समस्या नहीं हुई। आजकल तो काफी पतली हो गई हैं। नेशनल काउंसलिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) समेत अन्य प्रकाशन भी इस बात का ख्याल रख रहे हैं कि किताबें ज्यादा मोटी और भारी न हों।’ 

कोर्ट ने आगे कहा कि स्टूडेंट्स को घर और स्कूल के बीच जरूरी किताबें ले जानी होती हैं। क्योंकि ये किताबें उन्हें क्लास में पढ़ाई के वक्त काम आती हैं।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में आगे किताबों में लिंग समानता की भी बात की। कोर्ट ने कहा, ‘आजकल की किताबों में लिंग समानता का भी ध्यान रखा जा रहा है। हमारी किताबों में केवल महिलाओं को घरेलू कामकाज करते हुए दर्शाया जाता था। आजकल की किताबें पुरुषों को भी फर्श की सफाई करते हुए दर्शाती हैं। किताबें विकसित हुई हैं।’

बच्चों के स्कूल बैग का वजन कम करने के लिए एक्टिविस्ट स्वाति पाटिल ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। लेकिन कोर्ट ने स्वाति की याचिका खारिज करते हुए उन्हें निर्देश दिया कि वे एनसीईआरटी की वेबसाइट पर जाकर इसके पाठ्यक्रम को देखें। अगर उन्हें इसमें कोई समस्या लगती है, तो वह दोबारा कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती हैं।

Back to top button