सुरेश कुमार के लिए जंग में उतरे कैप्टन, हाईकोर्ट में दाखिल की अपील

अपने सबसे विश्वासपात्र अधिकारी को फिर से सीएमओ में लाने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आखिरकार कानूनी जंग का बिगुल बजा ही दिया। मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव सुरेश कुमार की नियुक्ति को हाईकोर्ट द्वारा रद्द कर दिए जाने के फैसले के खिलाफ पंजाब सरकार ने शुक्रवार को हाईकोर्ट की डबल बेंच के समक्ष अपील दाखिल कर दी। 

सुरेश कुमार के लिए जंग में उतरे कैप्टन, हाईकोर्ट में दाखिल की अपीलकरीब दो हफ्ते पहले हाईकोर्ट द्वारा नियुक्ति रद्द कर दिए जाने के दिन से ही सुरेश कुमार ने कार्यालय आना छोड़ दिया था। उस समय सूबे के एडवोकेट जनरल की ओर से कहा गया था कि सिंगल बेंच के इस फैसले को चुनौती दी जाएगी। लेकिन पूर्व सीपीएस द्वारा खुद को सरकार से बिलकुल अलग कर लिए जाने और मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें मनाने की कोशिशें नाकाम रहने के बाद यह माना जा रहा था कि सरकार उसी स्थिति में हाईकोर्ट जाएगी, अगर सुरेश कुमार सीएमओ लौटने की सहमति देंगे। 

कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए सुरेश कुमार की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे खुद सुरेश कुमार को मनाने के लिए दो बार सेक्टर-16 स्थित उनके आवास पर भी गए। इसी दौरान सूबे के कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने भी सुरेश कुमार को मनाने की कोशिश की। बीते रविवार को कैप्टन ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान भी साफ कर दिया था कि जब तक वे मुख्यमंत्री है, सुरेश कुमार को अपने साथ ही रखेंगे।

पंजाब सरकार ने यह कहा अपील में
सुरेश कुमार की नियुक्ति रद्द करने के सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ शुक्रवार को पंजाब सरकार द्वारा हाईकोर्ट की डबल बेंच में दायर अपील पर 14 फरवरी को जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस बीएस वालिया की खंडपीठ सुनवाई करेगी।

पंजाब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने दायर की गई अपील में कहा है कि सरकार के पास कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति करने का पूरा अधिकार है। इसलिए ऐसी नियुक्ति को संविधान के अनुच्छेद-14 और 16 के तहत माना ही नहीं जा सकता। अपील में कहा गया है कि यह भी तय नियम है कि सरकार के पास अपनी आवश्यकता के अनुसार अपने विवेक पर ऐसी नियुक्ति करने का अधिकार है।

अपील में आगे कहा गया है कि सिंगल बेंच का अपने फैसले में यह कहना कि सुरेश कुमार मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में आदेश पारित कर सकते थे, पूरी तरह गलत है। मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में सुरेश कुमार किसी भी फाइल के बारे में, जोकि उन्हें मुख्यमंत्री द्वारा फोन पर निर्देश दिए जाते थे, को महज रिकॉर्ड करते थे ना कि मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में फाइल पर अपनी तरफ से कोई फैसला करते थे।

नपेंगे साजिश रचने वाले अफसर
सूत्रों के मुताबिक सुरेश कुमार ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ मुलाकात में साफ कर दिया है कि वे उन लोगों के साथ काम नहीं कर सकते, जो उन्हें हटाने के लिए साजिशें रच रहे हैं। इसी एक कारण से सुरेश कुमार आफिस लौटने को तैयार नहीं हो रहे थे। माना जा रहा है कि कैप्टन ने उन्हें इस मामले में भी भरोसा दिलाया है और साजिश रचने में जिन दो अफसरों के नाम सामने आए थे, जल्दी ही उन्हें सरकार खुड्डे लाइन लगा देगी। कैप्टन द्वारा दिए इसी भरोसे के बाद सुरेश कुमार आफिस लौटने पर सहमत हुए हैं।

इस आधार पर सिंगल बेंच ने रद्द की थी नियुक्ति
गत 17 जनवरी को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मोहाली के एडवोकेट रमनदीप सिंह द्वारा रिटायर्ड आईएएस सुरेश कुमार को मुख्य प्रधान सचिव नियुक्त किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला देते हुए एक रिटायर्ड अधिकारी को चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी के बराबर का दर्जा देने को गलत ठहराया था। हाईकोर्ट का कहना था कि इससे गलत परंपरा बनेगी।

इसके साथ ही अदालत ने इस अधिकारी को चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी के रूप में कैबिनेट रैंक देने पर भी एतराज जताया था। हाईकोर्ट का कहना था कि सुरेश कुमार पब्लिक ऑफिस संभाल रहे हैं, वे भी बिना किसी कानूनी मंजूरी के। यह सीधे तौर पर संविधान की धारा 166(3) का उल्लंघन है। ऐसे में उनकी नियुक्ति के आदेशों को खारिज किया जाता है।

 
 
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