सीएसजेएम विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों ने फर्जीवाड़ा कर पीजी में दिया प्रवेश

कानपुर स्थित छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) से संबद्ध महाविद्यालयों में परास्नातक में एडमिशन के नाम पर फर्जीवाड़ा हो रहा है। कई महाविद्यालयों के परास्नातक कोर्स में अपात्र छात्रों ने विश्वविद्यालय को फर्जी सूचनाएं देकर एडमिशन हासिल कर लिया है।

स्नातक किसी और विषय से किया है और परास्नातक में किसी दूसरे विषय से प्रवेश पा लिया। छात्रों ने महाविद्यालय में जमा किए गए दस्तावेज तो सही लगाए हैं कि लेकिन एडमिशन के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अनिवार्य किए गए वेब रजिस्ट्रेशन नंबर (डब्ल्यूआरएन) में गलत सूचनाएं भरी हैं।

500 छात्रों का एडमिशन हो चुका है रद्द
दरअसल, इस बार बड़ी संख्या में अपात्र छात्रों ने परास्नातक के कुछ कोर्स में विभिन्न कॉलेजों में एडमिशन ले लिया था। मतलब किसी दूसरे विषय से स्नातक करने वाले छात्रों ने दूसरे विषय से परास्नातक में प्रवेश पा लिया था। चूंकि इन सभी छात्रोें ने स्नातक कानपुर यूनिवर्सिटी से ही किया था, इसलिए इन्हें डब्ल्यूआरएन की जरूरत नहीं थी। इसका फायदा उठाकर कॉलेज वालों ने फर्जीवाड़ा किया। हालांकि परीक्षा फार्म भरने के दौरान मामला पकड़ में आया तो विश्वविद्यालय ने करीब 500 अपात्र छात्रों का एडमिशन रद्द कर दिया था। सूत्रों के मुताबिक इन्हीं छात्रों को कॉलेज वालों ने गलत तरीके से प्रवेश दे दिया है।

तो इसलिए कॉलेज वाले कर रहे फर्जीवाड़ा
अपात्र होने के बाद भी कॉलेजों ने पहले छात्रों को प्रवेश दे दिया। विश्वविद्यालय में जब मामला पकड़ में आया तो प्रवेश रद्द कर दिए गए। प्रवेश रद्द होने से गुस्साए छात्रों ने हंगामा शुरू किया। इस हंगामे और फीस वापसी से बचने के लिए ही कॉलेज वालों ने फर्जीवाड़ा शुरू किया। ऐसे छात्रों से 19,20 और 21 नवंबर के बीच वेब रजिस्ट्रेशन नंबर हासिल करने को कहा। सूत्रों के मुताबिक उनसे कहा गया कि वे अपने पूर्व संस्थान के नाम की जगह दूसरे विश्वविद्यालय का नाम अंकित करें। ऐसा करने से डब्ल्यूआरएन मिल जाएगा। चूंकि इन छात्रों ने पहली बार डब्ल्यूआरएन जनरेट करवाया है, इसलिए विश्वविद्यालय का ऑनलाइन सिस्टम भी इन्हें नहीं पकड़ पाया।

यूनीक नंबर होता है डब्ल्यूआरएन
पिछले दो सालों से विश्वविद्यालय में स्नातक के सभी और परास्नातक में प्रवेश लेने वाले उन छात्रों के लिए वेब रजिस्ट्रेशन नंबर (डब्ल्यूआरएन) अनिवार्य है, जिन्होंने स्नातक किसी दूसरे विश्वविद्यालय से किया हो। यह एक तरह का यूनीक नंबर होता है। इसमेें छात्र से पिछली पढ़ाई के बारे में पूरी जानकारी मांगी जाती है। पूरा फार्म भरने के बाद छात्र को डब्ल्यूआरएन नंबर वाला प्रिंट मिल जाता है। परीक्षा फार्म भरते समय यही डब्ल्यूआरएन विश्वविद्यालय में देना होता है। इस नंबर के आधार पर ही विश्वविद्यालय प्रशासन छात्र की पिछली जानकारी जुटा लेता है।

एडमिशन का सही आंकड़ा विश्वविद्यालय प्रशासन तक पहुंच जाता है। फर्जी प्रवेश पाने वाले छात्रों ने यही फार्म भरते समय विषय बदल दिए। चूंकि इन छात्रों ने परास्नातक में प्रवेश लिया है, इस कारण इनसे पूर्व संस्थान बाहर (कानपुर यूनिवर्सिटी छोड़कर) का भरवाया गया। यह फर्जीवाड़ा तभी पकड़ में आता जब ऑनलाइन दी गई जानकारी और जमा किए गए दस्तावेज मिलाए जाते। चूंकि कानपुर यूनिवर्सिटी से संबद्ध करीब 10 लाख छात्रों ने प्रवेश लिया है। इस कारण ऐसे मिलान संभव नहीं है।

केस-1
छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी से फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ से बीएससी करने वाली एक छात्रा ने शहर के एक कॉलेज में एमएससी जियोग्राफी में एडमिशन पा लिया। पहले छात्रा का एडमिशन रद्द कर दिया गया था लेकिन कॉलेज प्रशासन ने वेब रजिस्ट्रेशन नंबर (डब्ल्यूआरएन) दिलाते समय छात्रा को आईसीएफएआई यूनिवर्सिटी, छत्तीसगढ़ से पास आउट दिखाकर विषय जियोग्राफी, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स कर दिए। इसके बाद छात्रा को जियोग्राफी से एमएससी में प्रवेश दे दिया गया।

केस- 2
छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी से ही फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ से बीएससी करने वाले करन शर्मा का एक कॉलेज में एमएससी जियोग्राफी में एडमिशन हो गया था। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपात्र बताते हुए एडमिशन निरस्त कर दिया। कॉलेज प्रशासन करन से भी विश्वविद्यालय और विषय बदलकर डब्ल्यूआरएन हासिल करने को कह रहा है। हालांकि करन ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। अब महाविद्यालय की ओर से करन को फीस नहीं लौटाई जा रही है।

ऐसा फर्जीवाड़ा हुआ है तो गंभीर बात है। मामले की जांच कराई जाएगी। दोषी पाए गए कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही फर्जी एडमिशन निरस्त किए जाएंगे।

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