संविधान के मुताबिक आर्थिक आधार पर नहीं मिलता आरक्षण : पूर्व जस्टिस चेलमेश्वर

मुंबई। मोदी सरकार ने हाल ही में गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण आर्थिक आधार पर देने का फैसला किया है। इससे जुड़ा संविधान संशोधन विधयेक दोनों सदनों से महज दो दिन में पास करवा लिया गया। जहां सरकार इसे बड़ा फैसला बता रही है तो वहीं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस जे चेलमेश्वर ने इस पर संविधान का हवाला देते हुए ‘सवाल’ उठाए हैं।
जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि आरक्षण के जरिए आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों का कल्याण नहीं हो सकता
आईआईटी बॉम्बे में छात्रों के साथ बातचीत करते हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जे चेलमेश्वर ने कहा है कि आरक्षण के जरिए सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों को ही आगे बढ़ाया जा सकता है। जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि आरक्षण के जरिए आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों का कल्याण नहीं हो सकता है। ‘संविधान के सात दशक’ नाम के एक कार्यक्रम में पूर्व चीफ जस्टिस पहले अंबेडकर मेमोरियल लेक्चर के मौके छात्रों को संबोधित कर रहे थे।
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संसद ने संविधान में 124वां संशोधन करते हुए सामान्य वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की
छात्रों को संबोधित करते हुए जस्टिस जे चेलमेश्वर ने कहा कि संविधान के मुताबिक आरक्षण के जरिए सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों को ही इससे लाभ मिल सकता है आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को नहीं। इस मामले को लेकर कोर्ट का रुख क्या होता है मुझे नहीं मालूम। बता दें कि हाल ही में संसद ने संविधान में 124वां संशोधन करते हुए सामान्य वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की है। इस संशोधन के जरिए सरकार ने सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था दी है। इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया है।
संसद से मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपना हस्ताक्षर कर दिया है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कई राज्यों ने इसे लागू कर दिया है। सरकार की नीतियों के मुताबिक एक फरवरी से गरीब सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण मिलने लगेगा।
जाने क्या है देश में आरक्षण की व्यवस्था?
ये आरक्षण मौजूदा 49.5 फीसदी आरक्षण की सीमा के ऊपर है। भारत में अभी तक 49.5 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था थी, लेकिन नए कानून के हिसाब से आरक्षण की सीमा अब 59.5 फीसदी तक पहुंच गई है। अब तक देश में अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है। अब सामान्य श्रेणी के लिए भी 10 फीसदी आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
आर्थिक आधार पर आरक्षण नए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
सामान्य वर्ग के लिए शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण के इस नए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। यूथ फॉर इक्वेलिटी ने इस संविधान संशोधन बिल को देश की सबसे बड़ी अदालत में चुनौती दी है।
याचिका में कहा गया है कि ये बिल अभूतपूर्व तरीके से दो दिन में ही संसद से पास कर दिया गया और इसपर बहुत कम चर्चा की गई। अर्जी में ये भी दावा किया गया है कि ये कानून संविधान के दो अनुच्छेदों की अवहेलना करता है। आरक्षण के लिए सिर्फ और सिर्फ आर्थिक आधार आरक्षण का पैमाना नहीं हो सकता है।

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