शौक ऐसा कि घर की छत पर लगाए 700 से ज्यादा फल और मेडिसिन प्लांट

पूर्णिया.कहते हैं जहां चाह है, वहां राह है। शहर के सबसे व्यस्ततम इलाके लाइन बाजार में जहां इंच-इंच जमीन की मुंहमांगी कीमत मिल जाती है। वहां पर पेड़-पौधों के शौकीन एक व्यक्ति ने 5500 स्क्वायर फुट एरिया में गार्डन बना डाला है। पेशे से बीमा अभिकर्ता गुलाम सरवर ने अपने घर की छत पर पेड़-पौधों का एक नया संसार ही बसा रखा है।शौक ऐसा कि घर की छत पर लगाए 700 से ज्यादा फल और मेडिसिन प्लांट

इस गार्डन में दुर्लभ प्रजाति के मेडिसिनल प्लांट के साथ-साथ सपाटू, शहतूत, 32 मशालों की खुशबू वाला ऑल स्पाइस, नींबू, शो प्लांट, गुलाब के साथ-साथ चायनीज अमरुद समेत तमाम सब्जी भाजी के पौधे मिल जाएंगे। इनमें से कई पौधे ऐसे हैं, जो 20 से 25 साल पुराने हैं, जिसे उन्होंने बोनसाई तकनीक के सहारे अपने छत पर संजोकर रखा है।

बचपन से था पेड़-पौधे का शौक, अब पिता के सपनों को संजो रहे

गुलाम सरवर मूल रूप से डगरुआ के कन्हरिया गांव के रहने वाले हैं। वे कहते हैं मेरे दादा डॉ. अब्दुल जब्बार खान डॉक्टर थे, लेकिन उनकों पेड़ पौधों से बहुत ज्यादा लगाव था। जिस जगह पर गार्डन है, यहां 70 के दशक में बागान था। इमरजेंसी के बाद पारिवारिक बंटवारा हुआ और धीरे-धीरे आम बागान खत्म हो गया। घर के पीछे जो जमीन थी, उसी पर पापा मोहम्मद वाली खान पेड़ और कलम लगा कर रखते थे। बचपन में उनको देखते-देखते मुझे भी पेड़ों से प्यार होने लगा। 1989 में यहां मार्केट बनने लगा, जमीन खत्म होने के बाद नीचे की बागवानी छत पर शिफ्ट होने लगी। पहले पापा थे तो वह देखभाल करते थे और मैं सहयोग करता था। पापा के गुजर जाने के बाद उनके सपनों को संजोकर रखा है।

जहां भी जाता हूं, वहां नई और दुर्लभ पेड़ को तलाश कर लाता हूं

पेड़ों के अलग-अलग प्रजाति पर बात करते हुए गुलाम सरवर बताते हैं कि मैं जहां भी जाता हूं, वहां से कोई न कोई पेड़ जरूर लाता हूं। फिर उसे कलम कर नया पेड़ बनाता हूं।

खुद बनाते हैं कलम और देते हैं बोंसाई का रूप

गुलाम सरवर बताते हैं कि उन्हें पापा से विरासत में कलम बनाने का गुर और पेड़ को बोनसाई बनाने का गुर सीखा। वे खुद ही सभी पेड़ का कलम बनाकर नए पेड़ तैयार करते हैं। उनकी छत पर आज भी 20 साल पुरानी तुलसी, पीपल, पाखर समेत अन्य पौधे हैं, जिन्हें उन्होंने संरक्षित कर अपने छत पर सजा कर रखा है

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लोगों को पौधे गिफ्ट करते हैं

गुलाम सरवर बताते हैं कि आजकल के भाग दौड़ की जिन्दगी में लोगों का बागवानी से ध्यान हट गया है। लोग खाली पड़ी जमीन का व्यावसायिक इस्तेमाल करने की सोचते हैं। लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए हरेक साल 500 से ज्यादा कलम किया हुआ पेड़ मुफ्त में देते हैं ताकि वे पर्यावरण के प्रति जागरूक हों।
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