शिवसेना बोली बीजेपी ने आडवाणी को सेवानिवृत्ति के लिए किया मजबूर

नई दिल्ली। शिवसेना ने शनिवार का कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 न लड़ने के बावजूद लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के सबसे बड़े नेता रहेंगे। पार्टी ने गांधीनगर सीट से भाजपा प्रमुख अमित शाह को उम्मीदवार बनाए जाने के दो दिन बाद यह टिप्पणी की। इस सीट का प्रतिनिधित्व आडवाणी करते रहे हैं। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा कि आडवाणी की जगह शाह के चुनाव लड़ने को राजनीतिक रूप से ऐसा माना जा रहा है कि भारतीय राजनीति के भीष्माचार्य को जबरन सेवानिवृत्ति दे दी गई है।
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शिवसेना ने कहा कि यह घटनाक्रम  दर्शाता है कि भाजपा का आडवाणी युग खत्म हो गया
संपादकीय में कहा गया है कि आडवाणी को भारतीय राजनीति का ‘भीष्माचार्य’ माना जाता है, लेकिन लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम नहीं है, जो हैरानी भरा नहीं है। शिवसेना ने कहा कि घटनाक्रम यह दर्शाता है कि भाजपा का आडवाणी युग खत्म हो गया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की कैबिनेट में 91 वर्षीय आडवाणी गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री रह चुके हैं। वह गांधीनगर सीट से छह बार चुनाव जीते। अब शाह इस सीट से पहली बार संसदीय चुनाव लड़ रहे हैं।
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पहले से ही ऐसा माहौल बनाया गया कि इस बार बुजुर्ग नेताओं को कोई जिम्मेदारी न मिले
संपादकीय में कहा गया कि आडवाणी गुजरात के गांधीनगर से छह बार निर्वाचित हुए हैं। अब उस सीट से अमित शाह चुनाव लड़ेंगे। इसका सीधा सा मतलब है कि आडवाणी को सेवानिवृत्ति के लिए विवश किया गया है। शिवसेना ने कहा कि आडवाणी भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे, जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर पार्टी का रथ आगे बढ़ाया,लेकिन आज मोदी और शाह ने उनका स्थान ले लिया है। पहले से ही ऐसा माहौल बनाया गया कि इस बार बुजुर्ग नेताओं को कोई जिम्मेदारी न मिले।
शिवसेना ने कहा कि कांग्रेस को बुजुर्गों के अपमान की बात नहीं करनी चाहिए
पार्टी ने कहा कि आडवाणी ने राजनीति में लंबी पारी खेली है और वह भाजपा के सबसे बड़े नेता रहेंगे। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा जिसने कहा है कि गांधीनगर सीट आडवाणी से छीनी गई। शिवसेना ने कहा कि कांग्रेस को बुजुर्गों के अपमान की बात नहीं करनी चाहिए। मुश्किल समय में कांग्रेस सरकार चलाने वाले तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव को पार्टी ने उनकी मौत के बाद भी अपमानित किया।

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