लावारिस मरीज ने खा लिया जिंदा कबूतर, तो डॉक्टरों ने खोला ऐसा राज की दंग रह गये सब

झारखंड की राजधानी रांची से एकबार फिर दिल दहला देने वाली तस्वीर आई है. एक बार फिर समाज का संवेदनहीन चेहरा दिखाई दिया है. इसबार फिर रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज – रिम्स (RIMS) में मानसिक रूप से विक्षिप्त एक महिला ने जिंदा कबूतर को मार डाला. फिर उसे नोंच-नोंच कर खा लिया. अब इस महिला की यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.

रिम्स अस्पताल के निदेशक डॉ. डीके सिंह का कहना है कि मानवीय संवेदना होने के बावजूद भी वो ऐसे मरीजों की मदद नहीं कर पाते. ऐसे मरीजों की वजह से रिम्स में अव्यवस्था फैलती है. 

डॉ. डीके सिंह ने कहा कि रिम्स में वैसे ही संसाधनों और मानवबल की कमी है. समाजसेवियों को चाहिए कि ऐसे मरीजों को जिनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है उन्हें उस जगह भर्ती कराएं जहां इनका इलाज होता हो. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल में ऐसे मरीजों के लिए मुफ्त खाने की व्यवस्था है. लेकिन इन लावारिस मरीजों की देखभाल करने वाला कोई नहीं है. इसीलिए रिम्स के आर्थोपेडिक विभाग के बरामदे में मानवीय संवेदना को तार-तार करने वाला नजारा देखने को मिला.

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स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह महिला दिनभर उस बरामदे में गुजरने वाले लोगों से खाना मांगती रही. लेकिन किसी ने उसे खाना नहीं खिलाया. जब खाना नहीं मिला तो उसने पास में बैठे कबूतर को पकड़ कर मार डाला. फिर आधे घंटे तक वह महिला मरीज कबूतर के पंख नोचती रही. स्थानीय मीडिया में प्रकाशित खबरों ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से बताया है कि ऑर्थोपेडिक वार्ड के बरामदे में एक ही जगह पर कई लावारिस मरीज रहते हैं. बरामदे से आने-जाने वाले लोगों से ये खाना मांगते हैं. लेकिन रिम्स प्रबंधन इस पर ध्यान नहीं देता.

रिम्स के निदेशक डॉ. डीके सिंह कहते हैं कि रिम्स में मानसिक रूप से बीमार रोगियों का इलाज नहीं होता. इन्हें रिनपास ले जाने के बजाय लोग रिम्स लाकर छोड़ देते हैं. यह जिम्मेदारी समाजसेवी संस्थाओं की है कि वे ऐसे मरीजों के सही जगह ले जाकर छोड़ें.

 

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