लखनऊ विश्वविद्यालय में अब छात्र नेताओं को बताना होगा अपना छात्रत्व

लखनऊ । लखनऊ विश्वविद्यालय अब ऐसे सभी छात्र नेताओं के छात्रत्व की जांच करेगा, जो खुद को विश्वविद्यालय से जुड़ा बताते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि कैम्पस में 2006 से छात्र संघ का चुनाव नहीं हुआ है।
ऐसे में छात्र नेताओं का कोई अस्तिव हीं नहीं है, कैम्पस में केवल किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़े छात्र ईकाई के छात्र की सक्रिय हैं। वह भी खुद को एबीवीपी, एनएसयूआई, समाजवादी छात्रसभा, आईसा व दूसरे छात्र संगठनों के सदस्य हैं। बाकि शेष कोई छात्र अगर खुद को लखनऊ विश्वविद्यालय का छात्र नेता बताता है, उसकी जांच की जाएगी। यह बात लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने गुरुवार को समन्यवय कमेटी की बैठक में मौजूद अधिकारियों को यह दिशा—निर्देश दिए। जल्द ही ऐसे छात्र नेताओं पर कार्रवाई करने की बात कही।
सभी बैनर पोस्टर पर लगे छात्र नेताओं बताना होगा छात्रत्व
कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय के गेट नंबर एक पर लगे सभी बैनर पोस्टर में जितने भी छात्रों के फोटो लगे हैं। उन सभी को अपना छात्रत्व साबित करना होगा। अगर वह विश्वविद्यालय या फिर इसे सं बद्ध किसी डिग्री कॉलेज के छात्र है वहां अध्ययनरत हैं। उसका प्रमाण विश्वविद्यालय और समन्वयय समिति के सामने रखना होगा। पोस्टर में जिन छात्र ने खुद को लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता होने का दावा किया है। अगर वह अपना दावा साबित नहीं कर पाते हैं। तो ऐसे भी तथाकथित छात्र नेताओं पर धोखाधड़ी और गुंडा एक्ट जैसे धाराओं में कार्रवाई करने की संस्तुति की जाएगी।
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अब प्रॉक्टोरियल टीम और पुलिस मिलकर करेगी कैम्पस की जांच
प्रो. सिंह ने बताया कि इसके अलावा अब कैम्पस में रोजाना प्रॉक्टोरियल बोर्ड और पुलिस की टीम मिलकर साथ में पूरे कैम्पस का निरीक्षण करेगी। इस दौरान कैम्पस में घूमने वाले सभी छात्रों के आईडी प्रूफ और बाहर से आने वाले आगंतुकों का पहचान पत्र की जांच करेगी। इस पूरी प्रक्रिया का प्रॉक्टोरियल बोर्ड के द्वारा वीडियोग्राफी भी कराया जाएगा। इसके साथ ही विश्वविद्यालय से निष्कासित और निलंबित चल रहे छात्रों की पहचान कर उनकी फोटो खींचकर पुलिस का अवगत कराया जाएगा। ताकि पुलिस ऐसे उपद्रवियों पर तुरंत कार्रवाई किया जा सके।
अनुराग तिवारी पर लगे सभी मामलों के जांच के आदेश
कुलपति वीसी ने बताया कि मंगलवार को कैम्पस में हुए हिंसा में शामिल पूर्व छात्र अनुराग तिवारी पर लगे सभी आरोपों की दोबारा से जांच शुरू कराने और उसको मिले जमानत को रद्द कराकर उसे जेल भेजने की अधिकारियों से सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए। साथ ही उस पर चल रहे सभी मामलों की जांच कर जल्द से जल्द कार्रवाई पूरा कराने को कहा गया है। कुलपति ने बताया कि इसके अलावा सभी निष्कासित और निलंबित छात्रों की सूची एक बार फिर से समन्वय समिति को भेजा जाएगा। ताकि इन सभी पूर्व छात्रों की कैम्पस में प्रवेश को पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। बैठक में समन्वय समिति के अध्यक्ष एडीएम अनिल कुमार, सीओ महानगर संतोष कुमार सिंह, इंस्पेक्टर हसनगंज कोतवाली सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।
‘बैठक में सभी छात्र नेताओं के छात्रत्व के जांच के आदेश दिए गए है। अगर वह विश्वविद्यालय और संबद्ध डिग्री कॉलेज के नहीं है तो उन पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई किया जाएगा।’ 
प्रो. एसपी सिंह, कुलपति, लखनऊ विश्वविद्यालय

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