लखनऊ यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में जुड़ेगा CAA, छात्रों को पढ़ाई जाएगी

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर जारी बहस के बीच लखनऊ यूनिवर्सिटी का फैसला चर्चा में है. दरअसल, राजनीतिक विज्ञान के पाठ्यक्रम में सीएए को जोड़ने का फैसला किया गया है. राजनीति विज्ञान की एचओडी शशि शुक्ला ने कहा कि राजनीति विज्ञान विषय के कोर्ट में हम सीएए भी पढ़ाएंगे. यह इस समय का सबसे महत्वपूर्ण विषय है और इसलिए इसका अध्ययन किया जाना चाहिए. इसमें पढ़ाया जाएगा कि क्या, क्यों, कैसे नागरिकता कानून में संशोधन किया गया.

बता दें कि नए नागरिकता कानून को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन चल रहा है. इस कानून को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया जा रहा है और प्रदर्शनकारी लगातार CAA को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं. वहीं, देश भर के कई हिस्सों में इस कानून के समर्थन में  रैली निकाली जा रही है.  

केंद्र सरकार को देना होगा जवाब

बुधवार को नागरिकता संशोधन एक्ट के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. शीर्ष कोर्ट ने इस प्रक्रिया पर तुरंत किसी भी तरह की रोक लगाने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने केंद्र सरकार को अब इस मामले पर जवाब देने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया है. पांचवें हफ्ते में चीफ जस्टिस की बेंच इस मसले को सुनेगी. इस मामले पर दर्ज याचिकाओं को सुनने के लिए संविधान पीठ का गठन किया जा सकता है.

कानून पर बदलाव के मूड में सरकार

वहीं, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने अपने बयान में कहा कि लोगों की भावनाओं पर विचार करते हुए इसमें बदलाव हो सकते हैं, सरकार ने इस पर कुछ सुझाव मांगे हैं. रालेगण सिद्धि में पिछले 34 दिन से मौन व्रत पर बैठे अन्ना हजारे से मुलाकात के बाद रामदास अठावले ने संकेत दिए कि सरकार कानून पर विचार के मूड में है.

हालांकि, पिछले दिनों गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सरकार सीएए पर जरा भी पीछे नहीं हटेगी. लखनऊ में रैली संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 70 साल से पीड़ित लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीवन का नया अध्याय शुरू करने का मौका दिया है, मैं डंके की चोट पर कहने आया हूं कि जिसको विरोध करना है करे, CAA वापस नहीं होगा.

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