राजस्थान: सिंचाई के लिए पानी न मिलने पर जनता ने लिया चुनाव के बहिष्कार का फैसला

प्रदेश की सरकार के वादे पर यकीन करके चितलवाना की जनता अब खुद को ठगा सा महसूस करने लगी है. चितलवाना उपखण्ड के दो दर्जन से अधिक गांव नर्मदा मुख्य नहर के अंकमाण्ड क्षेत्र में है. जिन किसानों की बेशकीमती जमीन औने-पौने दाम पर लेकर इनके खेतों के बीच मे से नहर निकालकर खेतों को अधिगृहित कर लिया और खेत के बीच में से नहर निकलने से खेत को भी दो टुकड़ो में बांट दिया. उस समय किसानों ने कोई विरोध नहीं किया क्योंकि किसानों ने सोचा कि नर्मदा का मीठा पानी मिलेगा और उस मीठे पानी मिलने से अच्छी फसल होगी. उससे इस नुकसान की भरपाई भी हो जाएगी.

राजस्थान: सिंचाई के लिए पानी न मिलने पर जनता ने लिया चुनाव के बहिष्कार का फैसला
राजस्थान: सिंचाई के लिए पानी न मिलने पर जनता ने लिया चुनाव के बहिष्कार का फैसला

लेकिन ग्रामीणों की मानें तो सरकार ने इन किसानों के साथ ऐसा होने नहीं दिया. क्योंकि इन किसानों की भूमि असिंचित क्षेत्र में है जिसके कारण अभी इस क्षेत्र के किसान नहर में से एक लीटर पानी भी नहीं ले पाएंगे. किसान अपने खेतों को सिंचित क्षेत्र में शामिल करने के लिए पिछले ढाई साल से धरने पर है. किसानों का कहना है कि हम पिछले ढ़ाई साल से जयपुर के सिंचाई मंत्री व गृह मंत्री से बात भी की लेकिन किसी भी प्रकार से उनकी समस्या का समाधान नही किया. 

वहीं मुख्यमंत्री की गौरव यात्रा के दौरान किसानों ने ज्ञापन भी दिया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. आखिरकार जब कोई निर्णय नहीं निकला तो किसानों ने निर्णय लिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव,लोकसभा चुनाक व पंचायतीराज चुनाव में मतदान का बहिष्कार करेंगे.

एक तरफ नर्मदा के अधिकारियों व नेताओ का कहना है कि पानी की कमी की वजह से कमांड क्षेत्र में नहीं जोड़ा जा रहा है. वही सांचोर क्षेत्र में कई जगह नर्मदा नहर से ओवरफ्लो पानी छोड़ा जा रहा है जो किसानों के लिए समस्या बनी हुई है. क्षेत्र में लुणी नदी क्षेत्र, झांकरड़ा व सेसावा के पास ओवरफ्लो पानी छोड़ा गया है. किसानों का कहना है कि जितना पानी ओवरफ्लो में छोड़ा जा रहा है उस पानी से अंकमाण्ड क्षेत्र को कमांड में जोड़कर पानी दिया जा सकता है.

इस साल दिसंबर माह में चुनाव है और दोनों ही पार्टियों के संभावित उम्मीदवारो ने प्रचार अभियान शुरु कर दिया है लेकिन इन दर्जनों गांवो के किसानों ने चुनाव बहिष्कार का निर्णय ले लिया है. उधर नेताओं ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है और वोट मांगने को लेकर भी जनता के सामने आने में हिचकिचा रही है. क्योंकि नेताओ को पता है कि गत ढाई साल से धरना चल रहा है इसलिए अभी वोट मांगने जाना भी सही नही रहेगा.

क्षेत्र के मेलावास, साहू एंव डऊकियो की ढाणी, गुड़ाहेमा, भादू एवं गोयतो की ढाणी,ध रणावास,रामपुरा,तांतड़ा,वमल,वीरावा, मेघावा,कुंडकी,मणोहर सहित कई गांव नर्मदा नहर के असींचित क्षेत्र में है. जिनको किसान सिंचित क्षेत्र में जोड़ने की मांग को लेकर पिछले ढाई साल से धरने पर बैठे है. लेकिन सरकार ने इनकी बात नहीं सुनी. जिसके कारण किसानों ने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया. बता दें कि इन गांवों में तकरीबन 8 से 10 हजार मतदाता है जो चुनाव में काफी अहम भूमिका निभाते है.

उधर नेहड़ के पांच ग्राम पंचायत सरवाना,भाटकी,जोरादर, दांतिया,बिछावाड़ी के ग्रामीणों ने विभिन्न समस्याओं का समाधान नहीं होने पर चुनाव बहिष्कार का निर्णय लिया है. ऐसे में अगर प्रदेश की राजनीतिक पार्टियों ने ग्रामीणों की मांगों को अनदेखा किया तो चुनाव में पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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