योगी सरकार का बड़ा फैसला, अनुसूचित जनजाति मुख्यालय का होगा पुनर्गठन

योगी सरकार ने अनुसूचित जनजाति मुख्यालय के पुनर्गठन करने का फैसला किया है। इसके लिए निदेशालय ने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। प्रस्ताव के अनुसार, मुख्यालय स्तर पर 37 पद होंगे। इनमें 7 पद नए सृजित किए जाएंगे। निदेशक का पद आईएएस कैडर का, जबकि संयुक्त निदेशक विभागीय अधिकारी होगा। माना जा रहा है कि यह फैसला लागू होने पर प्रदेश में जनजाति कल्याण की योजनाएं अच्छे ढंग से लागू हो सकेंगी।

प्रदेश में 12 जातियां अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, इनकी संख्या 11 लाख 34 हजार 273 है। वर्तमान में अनुसूचित जनजाति कल्याण निदेशालय समाज कल्याण भवन के ही दो-तीन छोटे-छोटे कमरों में चल रहा है। स्टाफ और अधिकारियों को बैठने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है। अलग से कोई बड़ा साइन बोर्ड न होने से अमूमन लोगों निदेशालय का पता ढूंढने में दिक्कत होती है।
 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद वनवासियों और जनजातियों के कल्याण के लिए कई काम किए गए। सदियों से जंगल में रह रहे वन टांगिया के गांवों को भी उन्होंने राजस्व ग्राम का दर्जा दिलाया। इसके तहत अनुसूचित जनजाति कल्याण निदेशालय को और अधिक प्रभावी बनाने का फैसला किया गया है।

यह होगा निदेशालय का नया ढांचा

निदेशालय या मुख्यालय स्तर पर निदेशक, संयुक्त निदेशक, मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी, विशेष अधिकारी, सहायक निदेशक, जनजाति अधिकारी, सहायक लेखाधिकारी और लेखाकार का एक-एक पद होगा। उप निदेशक के दो पद, दो प्रशासनिक अधिकारी, चार प्रधान सहायक, चार वरिष्ठ सहायक, पांच कनिष्ठ सहायक, वैयक्तिक सहायक  और वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2 के दो पद होंगे। तीन आशुलिपिक, सहकारिता निरीक्षक, वाहन चालक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के चार पद होंगे। बता दें कि इन 37 पदों में 30 पद पूर्व सृजित हैं। पदों को उच्चीकृत या नवीन पद स्वीकृत करने पर सरकार को प्रतिवर्ष 17.85 लाख रुपये का अतिरिक्त व्यय करना पड़ेगा। 

अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए चलाई जा रहीं हैं ये योजनाएं

पूर्व दशम छात्रवृत्ति योजना, दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना, समाजवादी पेंशन योजना, शादी अनुदान योजना, साइकिल-यूनिफॉर्म योजना, बुक बैंक योजना, वनाधिकार अधिनियम-2006 का क्रियान्वयन, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय का संचालन व निर्माण कार्य, वनाधिकार अधिनियम का प्रचार-प्रसार, आर्थिक विकास कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके अलावा पॉकेट प्लान, प्रिमिटिव समूह योजना, बुक्सा आदिम जनजातीय योजना, बिखरी आबादी वाली जनजातियों की विकास योजना है। वहीं, प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्रशिक्षण केंद्रों का निर्माण व संचालन, राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों का संचालन, छात्रावास का संचालन, कृषि व बागवानी हेतु अनुदान और कुटीर उद्योग अनुदान योजनाएं चलाई जा रही हैं। वन बंधु कल्याण योजना, अनूसूचित जनजातियों के रोजगार सृजन के लिए नए ट्रेडों का समावेश-संचालन के निर्देश भी दिए गए हैं।
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