ये खबर पढ़कर आप रोज बजाने लगेंगे ताली, जानिए चौंकाने वाले फायदे

खुशी का मौका का हो, किसी की तारीफ करनी हो, कोई जीत का विषय हो या किसी को प्रोत्साहन देना हो, इसके लिए लोग ताली बजाते हैं। ताली बजाना भले ही खुशी जाहिर करने का एक तरीका हो, लेकिन यह तरीका सेहत के लिए भी बड़े काम का है। रोजाना कुछ मिनट के लिए ताली बजाने से कई तरह से स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद मिलती है। इसे क्लैपिंग थैरेपी भी कह सकते हैं। यह थैरेपी हजारों सालों से चलती आ रही है। भारत में भजन, कीर्तन, मंत्रोपचार और आरती के समय ताली बजाने की प्रथा है। इससे मिलने वाले शारीरिक लाभ भी कम नहीं हैं। इसका वैज्ञानिक कारण भी है, क्योंकि विज्ञान के मुताबिक मानव शरीर के हाथों में 29 दबाव केन्द्र यानी एक्युप्रेशर पॉइन्ट्स होते हैं।

एक्यूप्रेशर के प्राचीन विज्ञान के मुताबिक शरीर के मुख्य अंगों के दबाव केन्द्र पैरों और हथेलियों के तलवों पर हैं। अगर इन दबाव केन्द्रों की मालिश की जाए तो यह कई बीमारियों से राहत दे सकते हैं जो अंगों को प्रभावित करते हैं। इन दबाव केन्द्रों को दबाकर, रक्त और ऑक्सीजन के संचार को अंगों में बेहतर तरीके से पहुंचाया जा सकता है। एक्यूप्रेशर शरीर की स्वयं को ठीक करने और व्यवस्थित करने की क्षमता को जगाने के लिए संकेत भेजने की तकनीक है।

एक्यूप्रेशर के मुताबिक ताली बजाना सभी प्रेशर पॉइन्ट्स को दबाने का सबसे आसान तरीका है। क्लैपिंग थैरेपी के लिए रोजाना सुबह या रात को सोने से पहले हथेलियों पर नारियल का तेल, सरसों का तेल या दोनों तेलों का मिश्रण लगाकर अच्छे से रगड़े। इसके बाद हथेलियों और अंगुलियो को एक-दूसरे से हल्का सा दबाव दे और कुछ देर तक ताली बजाएं। ताली बजाने से सेहत को ये फायदे मिलेंगे। इसे 20 से 30 मिनट तक करने से स्वस्थ और सक्रिय रहेंगे।

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ताली बजाने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है। इससे रक्तसंचार भी बेहतर होता है। नसों और धमनियों में से सभी अवरोधों को दूर करता है, जिसमें बैड कोलेस्ट्रॉल भी शामिल हैं। यह लो ब्लड प्रेशर वालों के लिए काम की थेरेपी है। हृदय रोग, मधुमेह, अस्थमा, गठिया आदि से राहत दिलाने में काफी लाभ होता है। आंखों और बालों के झड़ने की समस्या से परेशान लोगों को राहत मिल सकती है। यह सिरदर्द और सर्दी से भी छुटकारा दिलाता है। इस प्रक्रिया से तनाव और चिंता दूर करने में मदद मिलती है।

यह निराशा की स्थिति से उबरने के लिए असरदार थेरेपी है। कोई व्यक्ति पाचन की समस्या से गुजर रहा हो तो उसे क्लैपिंग थेरेपी अपनानी चाहिए। हृदय और फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं, अस्थमा के इलाज में यह थेरेपी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह गर्दन के दर्द से लेकर पीठ और जोड़ों के दर्द में भी आराम पहुंचाती है। बच्चे अगर इस थेरेपी को अपनाएं तो इससे उनकी काम करने की क्षमता और बौद्धिक विकास होता है। इससे दिमाग तेज होने में मदद मिलती है। 

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