यूपी में दम तोड़ रही प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना, दर-दर भटक रहे लाभार्थी

लखनऊ। प्रदेश और देश में मौजूदा मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने और जच्चा-बच्चा की बेहतर देखभाल हो सके, कुछ इन्हीं उद्देश्यों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 दिसम्बर वर्ष-2016 को देश में प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना का शुभारंभ किया था। इस योजना के तहत पहली बार मां बनने जा रही महिलाओं को योजना में शामिल किया गया है।
एलएमपी जांच में गर्भवती होने की पुष्टि के बाद महिला पीएमएमएसवाई के लाभार्थियों की श्रेणी में हो जाती है शामिल
अस्पताल में एलएमपी जांच में गर्भवती होने की पुष्टि के बाद महिला पीएमएमएसवाई के लाभार्थियों की श्रेणी में शामिल हो जाती है। योजना के तहत पहली किस्त प्रसव पूर्व 1,000 और दूसरी किस्त प्रसव के बाद 2,000 तथा तीसरी किस्त दो हजार जच्चा-बच्चा के पूर्ण टीकाकरण के 45 दिन बाद सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में पहुंच जाानी चाहिये। योजना के लिये प्रदेश और केंद्र सरकार से मिलने वाले बजट की धनराशि को पीएफएमएस पोर्टल के माध्यम सीधे पात्रों के बैंक खातों भेज दी जाता है।
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पहला मामला 21 वर्षीय सारिका रावत पति दीपक कुमार निवास पता ग्राम पोस्ट सराय प्रेमराज काकोरी का है। सारिका ने बताया कि गर्भवती होने पर काकोरी सीएचसी में उसका एमसीपी कार्ड 11 जून वर्ष-2017 में बना था। जबकि प्रसव 13 अप्रैल वर्ष-2018 में हुआ और एक बेटी को जन्म दिया। सारिका के अनुसार मातृत्व वंदना योजना के तहत पूरी प्रक्रिया करने के बाद भी उसे अभी तक एक भी पैसे की मदद नहीं मिली। पीड़िता ने बताया कि इस संबंध में सीएमओ व सीएचसी अधीक्षक से उसने कई बार गुहार भी लगाई।
दूसरा 21 वर्षीय मोहनी भारती पति का नाम पति राजेश रैदास निवास पता काकराबाद काकोरी का है। अस्पताल में एलएमपी डेट के बार मोहनी ने 28 जनवरी वर्ष-2017 को एमसीपी कार्ड बनवाया ताकि पीएमएमएसवाई से आर्थिक सहायता मिल सके। मोहनी को 24 नवम्बर वर्ष-2017 को प्रसव भी हो गया। मोहनी के अनुसार उसे आजतक योजना से एक पैसे का भुगतान नहीं हुआ।
तीसरा 21 वर्षीय रीता पति सर्वजीत और निवास पता ग्राम पोस्ट बौरवमऊ चिनहट का है। प्रसूता का एमसीपी कार्ड 13 जून वर्ष-2018 में बना, जबकि प्रसव 30 दिसम्बर को हुआ। प्रसूता के अनुसार अभीतक उसके बैंक खातें में पीएमएमएसवाई का एक भी पैसा नहीं पहुंचा।
यह तीन केस बताने के लिये काफी है कि प्रदेश में प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना (पीएमएमएसवाई) का संचालन किस हाल में हो रहा है और पात्रों को कितना लाभ मिल पा रहा है। पहली वार मां बनने जा रही महिलाओं को जो तय धनाराशि प्रसव से पूर्व और बाद में सीधे पात्रों के बैंक खाते में पहुंचनी चाहिये, वह प्रसव के नौ माह बाद भी नहीं मिली। कई पीड़ितों की ओर से योजना की धनराशि का भुगतान न होने की शिकायत मुख्यमंत्री से भी आईजीआरएस पोर्टल के माध्यम से की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पीएमएमएसवाई के पात्र इन दिनों धननाशि के लिये अस्पतालों से लेकर सीएमओ दफ्तर तक दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
योजना में पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को सरकार की ओर से पांच हजार रूपये की आर्थिक मदद का प्रावधान है। पीएमएमएसवाई के तहत प्रदेश में 27,06977 लोग आवेदन कर चुके हैं। इनमें तीन लाख 97 हजार के करीब आवेदकों को विभिन्न तकनीकि व कागजी कार्यवाही में हुई खामियों के चलते करेक्सन क्यू में रखा गया है। बड़ी संख्या में पात्रों का भुगतान प्रदेश में महीनों से नहीं हो रहा। लाभार्थी स्वास्थ्य विभाग के बड़े अफसरों से लेकर मुख्यमंत्री तक से भुगतान की गुहार लगा रहे हैं। यहां बता दें, कि योजना के संचालन के लिये प्रदेश सरकार की ओर से 40 और केंद्र सरकार की 60 प्रतिशत बजट उपलब्ध कराया जाता है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो करीब 12 लाख सात हजार 287 लाभार्थियों को 3.97 लाख की धनराशि का भुगतान भी कर दिया गया है। अब सवाल उठ रहा है कि आखिर भुगतान किया किसे जा रहा है।
‘पहले हमें पीएमएमएसवाई योजना के उन पात्र महिलाओं के कागज दिखाओ तभी कुछ कह सकते हैं। पीएमएमएसवाई का भी समय से सभी को भुगतान किया जा रहा है। यह कोई कैसे कह सकता है कि पैसा नहीं है।’ 
डॉ. सुरेश चन्द्रा, निदेशक मातृ एवं शिशु कल्याण।
‘जिन लोगों का भुगतान अभी नहीं हुआ उनमें ज्यादा लोगों क्यू करेक्सन में हैं। हलाांकि इसके बाद भी जिन पात्रों का भुगतान नहीं हुआ उनके बैंक खातें में पैसा 10 दिन में पहुंच जायेगा। ‘
डॉ. राजेश बांगिया, एनएचएम पीएमएमएसवाई, प्रदेश प्रभारी।

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