टिम गुलिक्सेन 52 साल के चुके हैं। वह 17 बच्चों के बायोलॉजिकल पिता हैं, लेकिन इन बच्चों को उन्होंने कभी अपनी गोद में नहीं खिलाया। न ही इन बच्चों के साथ पिकनिक मनाने समुद्र किनारे गए। ये सभी बच्चे अब युवा हो चुके हैं और अपनी-अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेने में सक्षम हैं। ये बच्चे कभी टिम के साथ उनके घर पर भी नहीं रहे क्योंकि ये उनके डोनर किड्स हैं जिनकी उम्र अब 18 से 25 साल के बीच है। टिम इन बच्चों के पिता होते हुए भी पिता नहीं हैं। इन बच्चों का परिवार कोई और है, परवरिश भी कहीं और हुई है। टिम की यह कहानी बेहद रोचक है
दरअसल, टिम गुलिक्सेन स्पर्म डोनर हैं। 1989 से स्पर्म बेचना शुरू किया। इस वक्त सैन फ्रांसिस्को में रहते हैं और रियल स्टेट एजेंट का काम करते हैं। टिम कहते हैं कि उन्होंने स्पर्म डोनेट करने का फैसला उस वक्त लिया जब एक गे-प्राइड मैग्जीन में पढ़ा कि लेस्बियन्स को डोनर की तलाश है। टिम कहते हैं- मैंने सोचा, कितना अच्छा है किसी जरूरतमंद परिवार की बच्चे की ख्वाहिश को पूरा करना। यही सोच स्पर्म डोनेट की नींव बनीं। 80 के दशक से पहले क्या कोई सोच सकता था कि कोई गे पुरुष शादी से पहले किसी बच्चे का बाप होगा।
टिम कहते हैं- मैं किसी स्पर्म बैंक को अपना स्पर्म डोनेट नहीं कर सकता था क्योंकि पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाने की वजह से एचआईवी के खतरे की संभावना थी। लेकिन, फिर भी स्पर्म डोनेट करने के लिए मैं सभी जरूरी जांचों से गुजरा और पूरे सैन फ्रांसिस्को के जरूरतमंदों को स्पर्म दिया। दूसरे डोनर्स की तरह मैंने भी कैश के बदले स्पर्म डोनेट करना शुरू किया। टिम कहते हैं कि शुरू में अपने डोनर किड्स से मिलने की इच्छा होती थी लेकिन मैं तय कर रखा था कि जब तक वे 18 साल के नहीं होंगे उनसे नहीं मिला जाएगा। साल 2000 से पहले टिम अपने किसी भी डोनर किड्स से नहीं मिले। साल 2000 के मध्य में टिम ने डोनर सिबलिंग रजस्ट्री के बारे में सुना और पहली बार उन्हें महसूस हुआ कि जैसे इंसान को अपने बच्चों के बारे में पता होता उसी तरह उन्हें भी अपने डोनर किड्स के बारे में पता होना चाहिए।
इसके बाद टिम ने डोनर सिबलिंग रजस्ट्री में साइन इन कर लिया। 9 साल के बच्चे मैकी और उनके पिता सी’मोन बारकेट ने टिम को मैसेज भेजा। लेकिन टिम ने कोई जवाब नहीं दिया और इसके बाद उन्होंने साइट के फाउंडर को इमेल किया और जब पहली बार टिम के पास फोन कॉल आया और उन्होंने सुना- ‘तुम्हारा बच्चा तुमसे मिलना चाहता है।’ टिम इन शब्दों को सुनकर भावुक हो गए। दरअसल, मैकी 5 साल की उम्र से ही अपने डोनर पिता के बारे में जानना चाहता था। वह हर फादर्स डे पर उनके लिए कार्ड भी बनाता था। उसने एक डैडी बॉक्स में कई काड्स जमा कर लिए थे। जब टिम और मैकी एक-दूसरे के संपर्क में आए तो टिम अपने डोनर किड के साथ हर रोज एक घंटा बिताने लगे।
टिम कहते हैं कि जब पहली बार यह परिस्थिति सामने आई, मैं भावुक होने के साथ ही नर्वस भी था। मुझे कोई आइडिया नहीं था कि मैं मैकी से क्या कहूंगा? मैकी अपने घर की बड़ी से खिड़की पर मेरा इंतजार कर रहा था, उसकी नजरें उस फुटपाथ की तरफ लगी हुई थी जहां से उसने डोनर पिता चहलकदमी करते हुए आने वाले थे। यह पहली मुलाकात थी जब दो अजनबी मिल रहे थे। इसके बाद कई बार टिम ने मैकी के साथ बाइक चलाई, उसके स्कूल गए और मैकी ने उन्हें वो डैडी बॉक्स दिया जिसमें उसने अपने पिता के लिए कार्डस जमा कर रखे थे। इसके बाद जब टिम की डोनर किड के साथ दूसरे लोगों ने फोटो देखी तो जिन लोगों को टिम ने स्पर्म दिया था वो भी उन्हें उनके बायोलॉजीकल पिता से मिलाने लगे और इस तरह यह सिलसिला शुरू हुआ। टिम के पास अपने डोनर किड्स की सारी तस्वीरें यादों के तौर पर दीवारों पर सजी हुई हैं। ये सभी बच्चे अब बड़े हो चुके हैं।