मेट्रो शहरों की लडकियाँ सबसे ज्यादा हो रही हैं इस बीमारी की शिकार

पीसीओडी की बीमारी

मॉडर्न ज़माने में लड़कियों ने भी लड़कों के साथ कदम मिलाकर चलना तो सीख लिया है लेकिन इसमें उनका शरीर उनका साथ नहीं दे पा रहा है। नौकरी करने और घर संभालने के चक्‍कर में लड़कियां अपनी सेहत का ध्‍यान नहीं रख पाती हैं और इस वजह से उन्‍हें मॉडर्न लाइफस्‍टाइल की बीमारियां घेर रही हैं। पीसीओडी की बीमारी तनाव, काम के बोझ, प्रदूषण, मॉडर्न लाइफस्‍टाइल के कारण होती है। इसमें महिलाओं को इंफर्टिलिटी की समस्‍या से जूझना पड़ सकता है।

मेट्रो शहरों की लडकियाँ सबसे ज्यादा हो रही हैं इस बीमारी की शिकार

आइए जानते हैं क्‍या होती है पीसीओडी की बीमारी

जिन लड़कियों को माहवारी एक या दो महीने से अधिक समय तक नहीं आती उन्‍हें पीसीओडी होने की संभावना रहती है। इस बीमारी में महिलाओं की फैलोपियन ट्यूब में अंडे फूटकर चिपक जाते हैं और कुछ समय बाद ये सिस्‍ट का रूप ले लेते हैं।

पीसीओडी की बीमारी के लक्षण

– पीरियड्स का ना आना या रूक-रूक कर आना

– चेहरे और शरीर पर अनचाहे बाल आना

– थकान और कमज़ोरी महसूस होना

– चिड़चिड़ापन और तनाव

मेट्रो शहरों में 10 में से 3 लड़कियां इस बीमारी से ग्रस्‍त हो रही हैं। अगर समय रहते इसका ईलाज ना करवाया जाए तो ये भयावह रूप ले सकती है। गाइनेकोलॉजिस्‍ट से सलाह लेकर उचित दवाओं और व्‍यायाम एवं संतुलित आहार से इस बीमारी को खत्‍म किया जा सकता है। मेट्रो शहरों का वातावरण ही ऐसा हो गया कि यहां रहने वाले लोग बड़ी तेजी से किसी ना किसी बीमारी का शिकार हो रहे हैं। लड़कियों को अपनी लाइफस्‍टाइल में सुधार लाने की जरूरत है तभी इस बीमारी से लड़ा जा सकता है।

आजकल लड़कियों को सबसे ज्‍यादा परेशान कर रही पीसीओडी की बीमारी। इस पीसीओडी की बीमारी का शिकार अधिकतर मेट्रो शहरों में रहने वाली लड़कियां ज्‍यादा होती हैं क्‍योंकि उन्‍हें नौकरी भी करनी है और घर भी संभालना है और शहर का वातावरण उन्‍हें स्‍वस्‍थ रहने की इज़ाजत नहीं देता। मेट्रो शहरों में इतना ज्‍यादा प्रदूषण होता है कि महिलाओं को कई तरह के रोग हो जाते हैं।

 
Back to top button