मानसून सत्र आज से, विपक्ष ने किया सरकार की चाय पार्टी का बहिष्कार

मुंबई. विपक्षी एकता में पड़ी दरार के बीच कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस विधानमंडल के मानसून सत्र में किसान कर्जमाफी के मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाते हुए सरकार को घेरने की योजना बना रही हैं। मानसून सत्र की पूर्व संध्या पर विपक्ष ने सरकार के चायपान का बहिष्कार कर दिया। विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटील ने कहा कि हम अब भी किसानों की संपूर्ण कर्जमाफी की मांग पर कायम है।
मानसून सत्र आज से, विपक्ष ने किया सरकार की चाय पार्टी का बहिष्कार
पत्रकारों से बातचीत में विखे पाटील ने कहा कि राज्य के सहकारिता मंत्री सुभाष देशमुख ने कहा है कि सरकार किसानों को कर्जमाफी का फार्म बांटेगी। उसके बाद ही पात्र किसानों को कर्जमाफी का लाभ मिलेगा। नोटबंदी के समय जिस तरह से हर दिन नया आदेश जारी हो रहा था। उसी तरह राज्य सरकार किसान कर्जमाफी पर हर दिन नया शासनादेश जारी कर रही है।
 
विखे पाटील ने कहा कि सरकार को किसानों को फंसाना बंद करना चाहिए। सरकार किसानों की भावनाओं से खेल रही है। सरकार की कर्ज माफी का लाभ कितने किसानों को और कैसे मिलेगा, यह भाजपा विधायकों को भी नहीं मालूम, इसलिए भाजपा ने किसान कर्जमाफी को लेकर लगाए गए पोस्टर- बैनर अब हटा दिए हैं। सरकार ने खरीफ बुवाई के लिए 10 हजार रुपए का अग्रिम कर्ज देने का फैसला लिया है। लेकिन राज्य के एक करोड़ किसानों में से केवल 2200 किसानों को दस हजार रुपए मिले हैं।
 
मुंबई विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिका जांचने के लिए नागपुर भेजी रही हैं। कुपोषण से जनवरी से जून 2017 तक पालघर में 557 और गड़चिरोली में 550 बच्चों की मौत हुई है। पिछले डेढ़ साल में 18 हजार से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। विखे पाटील ने कहा कि सदन में विपक्ष की तरफ से नागपुर-मुंबई समृद्धि महामार्ग, एसआरए घोटाला, धनगर, मराठा और लिंगायत समाज को आरक्षण के मुद्दे उठाए जाएंगे। सरकार राज्य के 13 हजार जिला परिषद के स्कूलों को बंद करने फैसला ले रही है। जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारी और उद्योगपति नाराज हैं।
मातोश्री पर ढोल बजाने की नौबत
 
विखे पाटील ने कहा कि सत्ताधारी शिवसेना संपूर्ण कर्जमाफी की मांग कर रही थी। लेकिन पार्टी अब जिला बैंकों के सामने ढोल बजाने की नौटंकी कर रही है। शिवसेना के नेताओं को अब शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री और मंत्रालय में ढोल बचाना चाहिए।
 
सोनू- सेठ की सरकार : मुंडे
विधान परिषद में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने कहा कि प्रदेश सरकार का कामकाज गोल-गोल है। उसमें बड़ा झोल-झोल है। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक सोनू –सेठ हैं। इसलिए यह सोनू-सेठ की सरकार है। उन्होंने कहा कि कहा कि अधिवेशन में किसान कर्ज माफी, दोबारा बुवाई के लिए किसानों को अनुदान देने, तुअर दाल घोटाला, शिक्षा से जुड़ी समस्याओं के साथ अन्य दूसरे मुद्दों को उठाया जाएगा।
 
सत्र की शुरुआत से पहले विपक्ष में पड़ी फूट
 
महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र की पूर्व संध्या पर विपक्ष बिखर गया। विपक्षीय दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस में मतभेद पैदा हो गए हैं। कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस ने पार्टी अध्यक्ष शरद पवार पर विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश होने वाले अभिनंदन प्रस्ताव को अहं का मुद्दा बना लिया है। इस मुद्दे पर दोनों दलों के बीच टकराव बढ़ गया है। संभवत: यही कारण रहा कि विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटील के सरकारी आवास पर बुलाई गई विपक्ष की बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस शामिल नहीं हुई। कांग्रेस की बैठक में समाजवादी पार्टी, जेडीयू और पीआरपी के विधायक शामिल हुए। जबकि विधान परिषद में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे के आवास पर राकांपा नेताओं की बैठक में शेकाप के विधायक मौजूद रहे।
 
रविवार को कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस ने अलग-अलग प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सरकार के खिलाफ हमला बोला। विपक्ष में पड़ी दरार पर दोनों दलों के नेताओं ने सीधे तो कुछ नहीं कहा, लेकिन इशारों-इशारों में बहुत कुछ कह गए।
 
कांग्रेस के नेता विखे पाटील ने कहा कि राकांपा के नेता ही जबाव दे पाएंगे कि आखिर वे विपक्ष की बैठक में क्यों नहीं आए। मैंने फोन करके राकांपा के नेताओं को बुलाया था। विखे पाटील ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी राष्ट्रीय नेता रही हैं। देश की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि अभिनंदन प्रस्ताव राजशिष्टाचार के अनुसार सदन में आना चाहिए।
 
इसके जबाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने बैठक से पहले ही विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद के सभापति को पत्र भेज दिया। इससे हमें लगने लगा कि अब कांग्रेस को शायद राष्ट्रवादी कांग्रेस की जरूरत नहीं है। तटकरे ने कहा कि शरद पवार ने संसदीय राजनीति में 50 साल पूरे किए हैं। लगातार पचास सालों तक विधानमंडल और संसद के सभी सदनों में काम करने वाले देश के एकमात्र नेता हैं। उन्होंने महाराष्ट्र में क्या योगदान दिया है। यह हमें अलग से बताने की जरूरत नहीं है।
 
झगड़े की जड़ बना पत्र
विधानमंडल के दोनों सदनों में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार के अभिनंदन का प्रस्ताव 5 अगस्त को पेश किया जाना है। इसको लेकर कांग्रेस विधानमंडल की तरफ से एक पत्र मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को 13 जुलाई को लिखा गया था। पत्र में लिखा गया है कि इंदिरा गांधी पूर्व प्रधानमंत्री हैं। उनको भारतरत्न मिल चुका है। इसलिए राजशिष्टाचार के अनुसार इंदिरा गांधी का अभिनंदन प्रस्ताव दोनों सदनों में शुरुआत में पेश किया जाए।
 
इस प्रस्ताव पर चर्चा के बाद सदन की कार्यवाही कुछ मिनट के लिए स्थगित की जाए। उसके बाद दूसरे नेताओं से जुड़े अभिनंदन प्रस्ताव को सदन में रखा जाए। इस पत्र में कांग्रेस की तरफ से विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटील और विधान परिषद में कांग्रेस के विधायक दल नेता शरद रणपिसे के हस्ताक्षर हैं। इस पत्र की भनक लगते ही राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता नाराज हो गए।
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